भारत में शुरू हुआ ई-पासपोर्ट सिस्टम: जानें आवेदन की प्रक्रिया और स्मार्ट फीचर्स
- May 15, 2025
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अगर आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं और नया पासपोर्ट बनवाने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी और अहम खबर है। अब भारत
अगर आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं और नया पासपोर्ट बनवाने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी और अहम खबर है। अब भारत
अगर आप विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं और नया पासपोर्ट बनवाने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी और अहम खबर है। अब भारत सरकार ने पारंपरिक पासपोर्ट की जगह एक नए और तकनीकी रूप से उन्नत ई-पासपोर्ट (e-passport) की शुरुआत कर दी है। यह पहल डिजिटल इंडिया के तहत भारत को एक तकनीकी रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में एक और ठोस कदम है।
ई-पासपोर्ट एक ऐसा स्मार्ट ट्रैवल डॉक्यूमेंट है, जो न केवल यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को भी तेज और सुविधाजनक बनाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि ई-पासपोर्ट क्या होता है, यह कैसे काम करता है, इसकी आवेदन प्रक्रिया क्या है और इसके क्या-क्या फायदे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट होता है, जिसमें एक इम्बेडेड माइक्रोचिप लगी होती है। यह पासपोर्ट देखने में पारंपरिक पासपोर्ट जैसा ही होता है, लेकिन इसके अंदर की तकनीक इसे पूरी तरह आधुनिक बनाती है. इस चिप में पासपोर्ट धारक की महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, जन्मतिथि, पासपोर्ट नंबर, और बायोमेट्रिक डिटेल्स (फोटो, फिंगरप्रिंट्स आदि) सुरक्षित रूप से सेव होती हैं।
यह चिप पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड होती है, यानी इसमें मौजूद डेटा को किसी भी अनधिकृत व्यक्ति या सिस्टम द्वारा एक्सेस करना लगभग नामुमकिन होता है। सिर्फ अधिकृत स्कैनिंग डिवाइस या पासपोर्ट चेकिंग सिस्टम ही इसे पढ़ सकते हैं। यह पासपोर्ट इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन (ICAO) के मानकों के अनुरूप होता है।
फिलहाल ई-पासपोर्ट सेवा को चरणबद्ध तरीके से देश भर में लागू किया जा रहा है। अभी यह सुविधा भारत के कुछ बड़े और महत्वपूर्ण शहरों में शुरू की गई है, जिनमें शामिल हैं:
विदेश मंत्रालय की योजना है कि साल 2025 के मध्य तक पूरे भारत में ई-पासपोर्ट सुविधा लागू कर दी जाए, ताकि देश के हर नागरिक को इस नई तकनीक का लाभ मिल सके। इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाने के लिए सरकार और पासपोर्ट विभाग लगातार तकनीकी और लॉजिस्टिक तैयारियों में जुटे हुए हैं।
ई-पासपोर्ट न केवल एक तकनीकी नवाचार है, बल्कि इसमें कई ऐसे फायदे हैं जो यात्रियों को पहले की तुलना में अधिक सुरक्षा और सुविधा प्रदान करते हैं:
इसमें मौजूद चिप को नकली बनाना या उसमें छेड़छाड़ करना लगभग असंभव है। यह धोखाधड़ी से बचाता है और पासपोर्ट क्लोनिंग जैसी घटनाओं को रोकने में सहायक होता है।
एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन के समय, यह चिप इमिग्रेशन अधिकारी को तुरंत यात्रियों की जानकारी प्रदान कर देती है। इससे वेरिफिकेशन प्रोसेस तेजी से पूरा होता है और लंबी कतारों से राहत मिलती है।
ई-पासपोर्ट में इस्तेमाल की गई चिप में सेव डाटा पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर (PKI) तकनीक से सुरक्षित रहता है। इस तकनीक की मदद से आपकी व्यक्तिगत जानकारी को बिना अनुमति एक्सेस या मॉडिफाई नहीं किया जा सकता।
ई-पासपोर्ट दुनिया के कई विकसित देशों में पहले से उपयोग में है। अब भारत में इसकी शुरुआत होने से भारतीय नागरिकों को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ट्रैवल डॉक्यूमेंट मिल सकेगा, जिससे विदेशों में उनकी पहचान और भरोसेमंद बनती है।
यदि आपके पास पहले से पारंपरिक पासपोर्ट है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आपको इसे तुरंत बदलवाने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपका पुराना पासपोर्ट जब तक वैध है, तब तक आप उसे उपयोग में ले सकते हैं। हां, जब उसका नवीनीकरण (renewal) कराने का समय आएगा, तब आपको ई-पासपोर्ट ही जारी किया जाएगा।
इसलिए फिलहाल पुराने पासपोर्ट धारकों को कोई अलग कदम उठाने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आप नया पासपोर्ट बनवा रहे हैं या दोबारा आवेदन कर रहे हैं, तो आपको ई-पासपोर्ट ही मिलेगा।
ई-पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया लगभग पहले जैसी ही है, बस कुछ तकनीकी अपडेट्स के साथ:
वहां आपकी बायोमेट्रिक जानकारी, फोटो और दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया जाएगा। प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपका ई-पासपोर्ट तैयार होकर डाक द्वारा भेज दिया जाएगा।
ई-पासपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की एक डिजिटल क्रांति का प्रतीक है। यह पहल हमारे देश को तकनीकी रूप से उन्नत और सुरक्षित बनाती है। आने वाले वर्षों में जब भारत का हर नागरिक ई-पासपोर्ट रखेगा, तब न केवल ट्रैवल प्रोसेस आसान होगा, बल्कि देश की वैश्विक छवि भी सशक्त होगी।
ई-पासपोर्ट का रोल भविष्य में और भी महत्वपूर्ण होगा, खासकर ऐसे समय में जब डिजिटल पहचान, साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय यात्रा को लेकर नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। यह भारत के नागरिकों को न केवल एक आधुनिक पहचान देगा, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त बनाएगा।
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