ट्रंप की अपील बेअसर: एपल का भारत से जाना क्यों है नामुमकिन?
- May 17, 2025
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से अपील की है कि कंपनी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से अपील की है कि कंपनी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से अपील की है कि कंपनी भारत में आईफोन का प्रोडक्शन घटाकर अमेरिका में बढ़ाए। उनका तर्क है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर अधिक टैरिफ लगाता है, और अमेरिका में प्रोडक्शन से नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे।
लेकिन क्या वाकई एपल भारत छोड़कर अमेरिका में प्रोडक्शन शिफ्ट कर सकती है? मौजूदा हालात और कारोबारी हकीकत को देखते हुए, इसका जवाब है – ‘ना के बराबर’। भारत अब न सिर्फ एपल का एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है, बल्कि कंपनी की वैश्विक रणनीति में इसका महत्व लगातार बढ़ रहा है।
आइए, समझते हैं कि एपल का भारत से जाना क्यों नामुमकिन है।
एपल ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी मजबूत किया है। वोक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों के जरिए एपल ने भारत में आईफोन असेंबलिंग का एक मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है।
इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जरूरत बन चुका है।
भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनका लाभ एपल जैसी कंपनियां उठा रही हैं।
उदाहरण के तौर पर:
सरकार और उद्योग के बीच यह सहयोग एपल के भारत में बने रहने को और भी मजबूत बनाता है।
भारत में श्रम लागत चीन और अमेरिका की तुलना में काफी कम है। यही वजह है कि मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए भारत एक अत्यधिक लागत प्रभावी गंतव्य है।
यदि एपल अमेरिका में प्रोडक्शन शिफ्ट करता है, तो इसकी लागत कई गुना बढ़ जाएगी – जिससे प्रोडक्ट्स महंगे होंगे और कंपनी की मार्जिन पर असर पड़ेगा।
भारत न केवल एक मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन है, बल्कि एक तेज़ी से बढ़ता हुआ कंज्यूमर मार्केट भी है।
ऐसे में भारत में बने प्रोडक्ट्स को यहीं बेचना और डिमांड को स्थानीय प्रोडक्शन से पूरा करना एपल के लिए अधिक लाभकारी है।
हाल के वर्षों में एपल ने अपनी चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति को अपनाया है। भारत इसमें सबसे महत्वपूर्ण विकल्प बनकर उभरा है।
इसलिए एपल के लिए भारत केवल अमेरिका का विकल्प नहीं, बल्कि चीन का भी मजबूत विकल्प है।
डोनाल्ड ट्रंप के बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से दिए गए हो सकते हैं, लेकिन बिजनेस लॉजिक की नजर से देखें तो एपल का भारत से जाना अर्थव्यवस्था और रणनीति दोनों के लिहाज से तर्कसंगत नहीं है।
टिम कुक ने भी स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल भारत से प्रोडक्शन हटाने की कोई योजना नहीं है। भारत में बना इंफ्रास्ट्रक्चर, सरकारी सहयोग, कम लागत और बड़ा उपभोक्ता बाजार – ये सब मिलकर भारत को एपल के लिए एक स्थायी और अपरिहार्य हब बना देते हैं।
संक्षेप में: