Talks on resumption of direct flights between India and China in full swing, लेकिन तारीख तय नहीं | जानें मीटिंग में क्या-क्या हुआ
April 15, 2025
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भारत और चीन के बीच लंबे समय से ठप पड़ी सीधी उड़ान सेवाओं को दोबारा शुरू करने को लेकर हाल ही में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच
भारत और चीन के बीच लंबे समय से ठप पड़ी सीधी उड़ान सेवाओं को दोबारा शुरू करने को लेकर हाल ही में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच अहम बैठक हुई। यह बैठक न केवल दो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे उन लाखों भारतीय यात्रियों को भी राहत मिल सकती है जो कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए चीन की यात्रा करना चाहते हैं।
हालांकि, इस बातचीत के बाद भी अभी तक डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने की कोई ठोस तारीख सामने नहीं आई है, लेकिन अधिकारियों के स्तर पर यह संकेत मिला है कि इस दिशा में सकारात्मक पहल की जा रही है।
भारत-चीन के बीच हवाई यात्रा का इतिहास
कोविड-19 महामारी से पहले भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों का संचालन नियमित रूप से होता था। एयर इंडिया, चीन की एयरलाइंस और अन्य निजी विमान कंपनियां दिल्ली, मुंबई और बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझू के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स चलाती थीं। यह न केवल व्यापार और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण था, बल्कि धार्मिक यात्राओं के लिए भी बेहद आवश्यक था।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा, जो कि तिब्बत में स्थित है और चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है, भारत के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हर साल हजारों लोग मानसरोवर की यात्रा करते थे, लेकिन महामारी और बाद में भारत-चीन सीमा पर तनाव के चलते यह यात्रा लगभग रुक गई।
हालिया मीटिंग: क्या हुआ चर्चा में?
नई दिल्ली में हुई भारत-चीन द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों के नागरिक उड्डयन और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस मीटिंग का फोकस था:
डायरेक्ट फ्लाइट की बहाली: किस तरह से और किन शर्तों के तहत सीधी उड़ानें फिर से शुरू की जा सकती हैं।
वीज़ा प्रक्रियाओं में सुधार: यात्रियों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने पर चर्चा।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना: खासकर कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने को लेकर रणनीति बनाना।
व्यापार और छात्रों की सुविधा: कई भारतीय छात्र और व्यापारी जो चीन जाना चाहते हैं, उनके लिए आवाजाही को आसान बनाना।
मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी कि दोनों देश फ्लाइट सेवाएं बहाल करने की दिशा में काम करेंगे, लेकिन कुछ प्रशासनिक और तकनीकी अड़चनों के कारण कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की गई।
कैलाश मानसरोवर यात्रा: एक भावनात्मक पहलू
भारत-चीन संबंधों में कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक खास स्थान है। यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद पवित्र मानी जाती है। हर साल जून से सितंबर के बीच हज़ारों श्रद्धालु मानसरोवर यात्रा पर निकलते हैं। यात्रा का प्रमुख मार्ग चीन के तिब्बत क्षेत्र से होकर गुजरता है, जहां भारतीयों को चीन की अनुमति से जाना होता है।
डायरेक्ट फ्लाइट की बहाली से न केवल इस यात्रा को दोबारा शुरू करने में मदद मिलेगी, बल्कि यात्रियों का समय और लागत दोनों में कमी आएगी। वर्तमान में श्रद्धालुओं को नेपाल या अन्य तीसरे देश के जरिए यात्रा करनी पड़ती है, जो न केवल महंगी होती है बल्कि अधिक समय भी लेती है।
व्यापार और शिक्षा पर प्रभाव
सीधी उड़ानों की अनुपस्थिति का असर न केवल धार्मिक यात्रियों पर हुआ है, बल्कि व्यापारी वर्ग और छात्र समुदाय भी इससे प्रभावित हुए हैं। भारत से हजारों छात्र चीन की यूनिवर्सिटीज़ में मेडिकल और अन्य विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। महामारी के बाद छात्र-छात्राओं को कैंपस लौटने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि डायरेक्ट फ्लाइट्स बंद हो चुकी थीं और वीज़ा प्रक्रियाएं भी धीमी थीं।
इसी तरह, चीन से व्यापार करने वाले भारतीय उद्योगपति और कारोबारी भी आवाजाही की कठिनाइयों से जूझते रहे। डायरेक्ट फ्लाइट्स के फिर से शुरू होने से इन वर्गों को बड़ी राहत मिलेगी।
सुरक्षा और राजनीतिक चिंताएं
हालांकि, भारत-चीन सीमा पर पिछले कुछ वर्षों से चले आ रहे तनाव के चलते यह मुद्दा सिर्फ तकनीकी या प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आई थी। इसी कारण हवाई सेवाओं को फिर से बहाल करने में देरी हुई है।
भारत सरकार किसी भी कदम को उठाने से पहले सुरक्षा, संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कर रही है। इसलिए बातचीत में सावधानी बरती जा रही है, ताकि किसी भी तरह की गलती से भविष्य में कोई समस्या न खड़ी हो।
आगे की संभावनाएं
भले ही अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच सकारात्मक संवाद जारी है। अधिकारी स्तर की बैठकें इस बात का संकेत हैं कि रिश्तों में कुछ नरमी आई है और दोनों ही पक्ष परस्पर लाभ के लिए तैयार हैं।
संभावना है कि आने वाले महीनों में, विशेषकर मानसून के अंत तक, कुछ सीमित उड़ानों को ट्रायल के तौर पर शुरू किया जा सकता है। इसके बाद यात्रियों की प्रतिक्रिया, प्रशासनिक समीक्षा और सुरक्षा आकलन के आधार पर इनकी संख्या और रूट्स को बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष: उम्मीद की एक नई किरण
भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की बहाली न केवल हवाई संपर्क का मामला है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग का प्रतीक बन सकता है। श्रद्धालुओं, छात्रों, व्यापारियों और आम यात्रियों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।
मीटिंग के नतीजों ने भले ही कोई तारीख नहीं दी, लेकिन दिशा ज़रूर तय कर दी है – वह दिशा जो दोनों देशों के नागरिकों को फिर से जोड़ सकती है। आने वाले समय में यदि यह सेवा बहाल होती है, तो यह एक सकारात्मक संकेत होगा कि कूटनीति के ज़रिए हर दूरी को कम किया जा सकता है।