Crude Oil Price News: ट्रंप के टैरिफ की तलवार से हिलेगा क्रूड मार्केट? क्या बढ़ेंगी तेल की कीमतें?
April 4, 2025
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नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025 – वैश्विक कच्चे तेल बाज़ार (Crude Oil Market) में एक बार फिर उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड
नई दिल्ली, 4 अप्रैल 2025 – वैश्विक कच्चे तेल बाज़ार (Crude Oil Market) में एक बार फिर उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावित टैरिफ प्लान, रूस पर नए प्रतिबंधों की चर्चा और ओपेक प्लस (OPEC+) की बैठक से पहले अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। इन सभी कारकों के चलते यह सवाल उठता है – क्या कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने वाला है?
रूस पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव
अमेरिकी संसद में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सीनेटरों के एक समूह ने रूस पर नई पाबंदियों का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम वार्ता नहीं होती है, तो रूस से कच्चा तेल और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाया जाएगा।
इसके अलावा, अमेरिकी नागरिकों को रूसी सरकारी बॉन्ड में निवेश करने से भी रोका जाएगा। यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
टैरिफ से हिलेगा ग्लोबल क्रूड मार्केट?
ऊर्जा मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि अगर हर देश इस तरह टैरिफ लगाना शुरू कर दे तो क्रूड मार्केट का संतुलन बिगड़ सकता है। उन्होंने कहा,
“अब यह देखना होगा कि अमेरिका की यह नीति कितनी दूर तक जाती है। अगर सप्लाई चेन पर असर पड़ा, तो क्रूड की कीमतें बहुत तेजी से ऊपर जा सकती हैं।”
ओपेक प्लस की बैठक से बड़ी उम्मीदें नहीं
3 अप्रैल 2025 को होने वाली OPEC+ की बैठक पर भी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक से ज्यादा बड़ी घोषणाएं नहीं होंगी। नरेंद्र तनेजा के मुताबिक,
“दुनिया के 60% क्रूड का उत्पादन नॉन-OPEC देश करते हैं। ऐसे में सिर्फ OPEC की रणनीति से कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता।”
OPEC+ के पास फिलहाल प्रोडक्शन बढ़ाने या घटाने के सीमित विकल्प हैं, क्योंकि बाज़ार पहले से ही सप्लाई और डिमांड के बीच संघर्ष कर रहा है।
भारत पर क्या होगा असर?
भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, और वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट और महंगाई दर पर पड़ता है। यदि टैरिफ और प्रतिबंधों के कारण रूस से सप्लाई बाधित होती है, तो भारत जैसे देशों के लिए तेल खरीदना महंगा हो सकता है।
निष्कर्ष
क्रूड ऑयल मार्केट एक बार फिर जियोपॉलिटिक्स के तूफान में फंसता दिख रहा है। अमेरिका के प्रतिबंध और टैरिफ प्रस्ताव जहां रूस की सप्लाई चेन पर असर डाल सकते हैं, वहीं ओपेक+ की निष्क्रियता बाजार में असमंजस बनाए रखेगी। आने वाले दिनों में तेल की कीमतें उलटफेर का सामना कर सकती हैं।