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कम उम्र में अंधापन: युवाओं को अपनी आंखों की रोशनी बचाने की सख्त जरूरत

  • August 5, 2025
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आज के डिजिटल युग में जहां स्मार्टफोन, लैपटॉप और स्क्रीन पर बिताया गया समय लगातार बढ़ रहा है, वहीं एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या तेजी से युवाओं को अपनी

कम उम्र में अंधापन: युवाओं को अपनी आंखों की रोशनी बचाने की सख्त जरूरत

आज के डिजिटल युग में जहां स्मार्टफोन, लैपटॉप और स्क्रीन पर बिताया गया समय लगातार बढ़ रहा है, वहीं एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है—Corneal Blindness। पहले यह समस्या बुजुर्गों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब 30 साल से कम उम्र के किशोर और युवा भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं।

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस क्या है?

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस तब होता है जब आंख का पारदर्शी हिस्सा यानी कॉर्निया किसी कारणवश क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह क्षति चोट, संक्रमण, विटामिन की कमी या सही समय पर इलाज न होने से हो सकती है। इसका सीधा असर दृष्टि पर पड़ता है, और कई मामलों में व्यक्ति हमेशा के लिए अपनी रोशनी खो बैठता है।

तेजी से बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी

नई दिल्ली में 2025 में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ कॉर्निया एंड केराटो-रिफ्रैक्टिव सर्जन्स (ISCKRS) के सम्मेलन में विशेषज्ञों ने चिंता जताई कि भारत में हर साल 20,000 से 25,000 नए कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के केस सामने आ रहे हैं। और इन मामलों में सबसे बड़ी संख्या युवाओं की है।

एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. राजेश सिन्हा ने बताया कि कई बार मामूली चोट, जलन या लालिमा को लोग नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन जब तक इलाज होता है, तब तक कॉर्निया इतनी बुरी तरह प्रभावित हो चुका होता है कि दृष्टि वापस लाना असंभव हो जाता है।

Corneal Blindness

कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के मुख्य कारण

  1. आंखों में चोट:
    खेतों, फैक्ट्रियों या किसी भी फिजिकल वर्क में बिना सेफ्टी के काम करने से आंखों में चोट लग सकती है। खासकर ग्रामीण युवाओं में यह आम है।
  2. संक्रमण का अनदेखा होना:
    आंखों में लालिमा, खुजली, जलन या पानी आना संक्रमण के संकेत हो सकते हैं। लेकिन इलाज की बजाय घरेलू नुस्खों का सहारा लेने से हालत और बिगड़ती है।
  3. विटामिन A की कमी:
    खासकर बच्चों और किशोरों में यह अब भी एक बड़ी समस्या है, जिससे कॉर्निया कमजोर हो जाता है।
  4. जानकारी और सुविधाओं की कमी:
    ग्रामीण इलाकों में आंखों की जांच की व्यवस्था या अच्छे नेत्र विशेषज्ञों की कमी भी एक बड़ा कारण है।

भारत में इलाज की स्थिति और चुनौतियाँ

भारत में हर साल 1 लाख लोगों को कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 40,000 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। इसका मुख्य कारण है—

  • डोनर की कमी
  • प्रशिक्षित सर्जनों की कमी
  • नेत्र बैंकों की अपर्याप्त संख्या

इसलिए आवश्यकता है कि नेत्रदान को बढ़ावा दिया जाए और मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए।

समाधान और विशेषज्ञों के सुझाव

ISCKRS सम्मेलन में कुछ ठोस सुझाव सामने आए:

  • आने वाले 5 वर्षों में 1,000 नए कॉर्नियल विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार किए जाएं।
  • भारत के अलग-अलग हिस्सों में 50 से 100 नए नेत्र बैंक खोले जाएं।
  • टेलीमेडिसिन और मोबाइल आई क्लीनिक के जरिए गांव-गांव तक सेवाएं पहुंचाई जाएं।
  • स्कूलों और कॉलेजों में नियमित नेत्र जांच अनिवार्य की जाए।
  • युवाओं को सेफ्टी गियर पहनने के लिए प्रेरित किया जाए।

आप क्या कर सकते हैं?

  • आंखों में हल्की सी भी परेशानी को नजरअंदाज न करें।
  • समय पर जांच करवाएं।
  • बच्चों को विटामिन A युक्त भोजन दें।
  • नेत्रदान के लिए आगे आएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
  • इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक साझा करें।

निष्कर्ष

Corneal Blindness अब केवल उम्रदराज लोगों की नहीं, बल्कि युवाओं की भी समस्या बन चुकी है। यदि समय रहते हम सावधानी नहीं बरतते, तो हर साल हज़ारों युवा अपनी रोशनी हमेशा के लिए खो सकते हैं। जानकारी, सतर्कता और समय पर इलाज—यही इसका सबसे बड़ा इलाज है। नेत्रदान को अपनाएं, आंखों को सुरक्षित रखें और दूसरों को भी जागरूक करें।

FAQs

Q1: कॉर्नियल ब्लाइंडनेस क्या होता है?

उत्तर: यह आंखों की वह स्थिति है जिसमें कॉर्निया क्षतिग्रस्त हो जाता है, जिससे व्यक्ति की दृष्टि प्रभावित होती है या पूरी तरह से चली जाती है।

Q2: युवाओं में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस क्यों बढ़ रहा है?

उत्तर: इसकी मुख्य वजहें हैं आंखों की चोट, संक्रमण का अनदेखा होना, विटामिन A की कमी और समय पर इलाज की कमी।

Q3: क्या कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से बचाव संभव है?

उत्तर: हां, समय पर जांच, उपचार, आंखों की सुरक्षा और संतुलित आहार से इससे बचा जा सकता है।

Q4: भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेस का इलाज संभव है?

उत्तर: हां, कॉर्नियल ट्रांसप्लांट इसका मुख्य इलाज है, लेकिन इसके लिए नेत्रदान की आवश्यकता होती है।

Q5: नेत्रदान कैसे किया जा सकता है?

उत्तर: कोई भी व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद नेत्रदान कर सकता है। इसके लिए किसी नजदीकी नेत्र बैंक में रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

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