अरब सागर में चीन की ‘फिशिंग आर्मी’: क्या पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा है ड्रैगन?
- May 6, 2025
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पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में चीन की गतिविधियों में तेजी देखी गई है, और अब यह खतरा भारत के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा
पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में चीन की गतिविधियों में तेजी देखी गई है, और अब यह खतरा भारत के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा
पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में चीन की गतिविधियों में तेजी देखी गई है, और अब यह खतरा भारत के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा है। हाल ही में भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक महत्वपूर्ण अभ्यास (30 अप्रैल से 3 मई 2025) किया, जिसके दौरान एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई — भारत की समुद्री सीमा से केवल 120 नॉटिकल मील दूर चीन के 224 कथित ‘फिशिंग बोट्स’ सक्रिय रूप से दिखाई दीं। सवाल यह उठता है कि क्या ये नावें सच में मछली पकड़ने आई हैं या फिर इनका मकसद कुछ और है — जैसे कि पाकिस्तान के लिए जासूसी करना?
पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस बीच चीन की गतिविधियों में अचानक तेजी आना किसी संयोग से कम नहीं माना जा सकता। चीन और पाकिस्तान के रिश्ते दशकों से घनिष्ठ रहे हैं, लेकिन अब यह मित्रता एक रणनीतिक गठबंधन का रूप ले चुकी है। चीन का पाकिस्तान में CPEC (चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर) जैसे प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश इस बात का प्रमाण है कि वह पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता और सुरक्षा में गहरी रुचि रखता है।
अरब सागर में चीन की ये मछली पकड़ने वाली नावें सामान्य नहीं मानी जा सकतीं। समुद्री सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की एक रणनीतिक चाल है, जहां वह नागरिक मछुआरों की आड़ में अपने नेवी से जुड़े लोग भेजता है। इस तरह की गतिविधियों को ‘मैरिटाइम मिलिशिया’ कहा जाता है, जो सामान्य फिशिंग बोट्स की तरह दिखाई देती हैं लेकिन इनमें सैन्य संचार उपकरण और निगरानी यंत्र लगे होते हैं।
भारत की समुद्री सीमा के इतने करीब 224 नावों की मौजूदगी यह दर्शाती है कि यह कोई सामान्य मछली पकड़ने का मिशन नहीं था। इसके पीछे रणनीतिक उद्देश्यों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता — विशेषकर उस समय जब भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हों।
पाकिस्तान को चीन की इस ‘समुद्री जासूसी’ से कई स्तरों पर लाभ मिल सकता है। पहला, भारत की नौसैनिक गतिविधियों की सटीक जानकारी मिलना। दूसरा, चीन द्वारा जुटाई गई खुफिया जानकारी का सैन्य उपयोग कर पाकिस्तान सीमा पर अपनी तैनाती और रणनीति को मजबूती दे सकता है। तीसरा, भारत की समुद्री सीमाओं के पास चीनी उपस्थिति से पाकिस्तान को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलती है।
भारतीय नौसेना ने इस खतरे को गंभीरता से लिया है। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अभ्यास के दौरान इन फिशिंग बोट्स की लोकेशन, संरचना और गतिविधियों का विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा समुद्री निगरानी बढ़ा दी गई है और भारत की समुद्री खुफिया एजेंसियां लगातार इस विषय पर नजर रख रही हैं।
भारत को अब इस खतरे से निपटने के लिए समुद्री सुरक्षा रणनीति को और मजबूती देना होगा। साथ ही, चीन के ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेयर’ जैसे कदमों का सटीक और संतुलित जवाब देने की आवश्यकता है।
दुनिया के अन्य हिस्सों में भी चीन की ‘फिशिंग आर्मी’ को लेकर चिंता जताई जाती रही है, विशेषकर दक्षिण चीन सागर में। वहां भी चीन ने इसी तरह से मछुआरों की आड़ में अपने सैन्य हित साधे हैं। अब यही रणनीति अरब सागर में अपनाई जा रही है, जो भारत की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन सकती है।
चीन की अरब सागर में गतिविधियां केवल मछली पकड़ने तक सीमित नहीं हैं। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान के साथ उसका गठबंधन एक अहम भूमिका निभा रहा है। भारत को इस ‘समुद्री चुनौती’ से सतर्क रहकर जवाब देना होगा, ताकि राष्ट्र की समुद्री सीमाएं सुरक्षित रहें और भविष्य में कोई भी बाहरी ताकत उन्हें खतरे में न डाल सके।