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ICICI बैंक घोटाला: चंदा कोचर रिश्वत मामले में दोषी करार, जानिए पूरा मामला

  • July 22, 2025
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ICICI बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चंदा कोचर को 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने और Videocon ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन पास करने

ICICI बैंक घोटाला: चंदा कोचर रिश्वत मामले में दोषी करार, जानिए पूरा मामला

ICICI बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चंदा कोचर को 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने और Videocon ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन पास करने के मामले में दोषी करार दिया गया है। यह फैसला एक अपीलेट ट्रिब्यूनल ने सुनाया, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को निर्णायक माना गया।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

वर्ष 2018 में मीडिया रिपोर्ट्स में पहली बार यह आरोप सामने आया कि चंदा कोचर ने अपने पति दीपक कोचर के व्यापारिक संबंधों को छिपाकर ICICI बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन करते हुए Videocon को लोन पास किया। इस लोन के बदले कथित तौर पर 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

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ED की जांच और खुलासे

ED ने जांच के बाद दावा किया कि चंदा कोचर ने कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट (हितों के टकराव) को छुपाते हुए बैंक की शक्तियों का दुरुपयोग किया। लोन पास करने के तुरंत बाद Videocon की एक सहयोगी कंपनी SEPL से 64 करोड़ रुपये एक अन्य कंपनी NRPL को ट्रांसफर किए गए।

इस कंपनी NRPL का मालिकाना हक कागजों में भले ही Videocon के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के नाम पर था, लेकिन इसका असली कंट्रोल दीपक कोचर के पास था, जो इसके मैनेजिंग डायरेक्टर भी थे।

‘क्विड प्रो क्वो’ का मामला

ट्रिब्यूनल ने इस लेन-देन को ‘क्विड प्रो क्वो’ यानी कुछ पाने के बदले कुछ देने जैसा करार दिया। चंदा कोचर ने अपने पद का इस्तेमाल कर न केवल बैंक की नीतियों का उल्लंघन किया, बल्कि अपने पति के माध्यम से निजी लाभ भी प्राप्त किया। ट्रिब्यूनल ने इसे सीधा रिश्वत का मामला बताया।

संपत्ति ज़ब्ती पर ट्रिब्यूनल का बड़ा फैसला

2020 में एक अथॉरिटी ने चंदा कोचर और उनके साथियों की 78 करोड़ रुपये की संपत्ति को रिलीज करने का आदेश दिया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस फैसले को गलत बताया। उनका कहना था कि अथॉरिटी ने सबूतों को नजरअंदाज किया और गलत निष्कर्ष निकाला।

ED की टाइमलाइन और साक्ष्य निर्णायक साबित हुए

ED ने जो टाइमलाइन पेश की, उसमें यह स्पष्ट था कि:

  • लोन पास होते ही पैसे ट्रांसफर हुए
  • पैसा कोचर की पारिवारिक कंपनी में पहुंचा
  • चंदा कोचर ने बैंक की नीतियों को दरकिनार किया

यह सभी घटनाएं मिलकर यह साबित करती हैं कि यह एक पूर्वनियोजित घोटाला था।

निष्कर्ष

ICICI बैंक का यह घोटाला भारत के कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे चर्चित मामलों में एक बन गया है। एक प्रतिष्ठित CEO का इस प्रकार भ्रष्टाचार के मामले में फंसना न केवल नैतिक पतन को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जांच एजेंसियां अब हाई प्रोफाइल मामलों में भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हट रहीं।

FAQs

1. चंदा कोचर को किस मामले में दोषी ठहराया गया है?

चंदा कोचर को Videocon ग्रुप को 300 करोड़ रुपये का लोन पास करने के बदले 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के मामले में दोषी पाया गया है।

2. इस घोटाले में चंदा कोचर के पति की क्या भूमिका थी?

चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने NRPL नाम की कंपनी के जरिए रिश्वत की रकम को प्राप्त किया, जो कागजों पर भले ही किसी और के नाम थी, लेकिन असल नियंत्रण उन्हीं के पास था।

3. क्या चंदा कोचर ने बैंक की नीतियों का उल्लंघन किया?

हां, ट्रिब्यूनल ने माना कि उन्होंने हितों के टकराव (Conflict of Interest) की जानकारी छिपाकर बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन किया।

4. ED ने कौन-कौन से सबूत पेश किए थे?

ED ने लोन, पैसे के ट्रांसफर और कंपनी मालिकाना हक की टाइमलाइन पेश की, जिसमें रिश्वत का सीधा लिंक दिखाया गया।

5. ट्रिब्यूनल ने पुराने फैसलों पर क्या कहा?

ट्रिब्यूनल ने 2020 में संपत्ति रिलीज करने के आदेश को गलत बताया और कहा कि उस फैसले में जरूरी सबूतों की अनदेखी की गई थी।

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