दुनियाभर में हवाई यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्रा विकल्पों में गिना जाता है। उड़ानों में आधुनिक टेक्नोलॉजी, सख्त नियम, अनुभवी पायलट और मजबूत विमान निर्माण के चलते विमान यात्रा को काफी हद तक सुरक्षित माना जाता है। लेकिन जब भी किसी प्लेन क्रैश की खबर सामने आती है, तो यह न सिर्फ यात्रियों बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देती है। ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा 12 जून को भारत के अहमदाबाद शहर में हुआ, जहां एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 की जान चली गई। यह त्रासदी बेहद दुखद रही और एक बार फिर यह सवाल उठा कि क्या विमान हादसों में यात्रियों की जान बचाने का कोई विकल्प नहीं है?
वैज्ञानिकों की कोशिश: कैसे बचाई जाए यात्रियों की जान?
हर बार किसी विमान दुर्घटना के बाद, वैज्ञानिक और विमानन विशेषज्ञ यह सोचने में लग जाते हैं कि ऐसी किसी तकनीक का विकास किया जाए, जिससे भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं में यात्रियों की जान बचाई जा सके। इस दिशा में अब एक क्रांतिकारी विचार सामने आया है, जो विमानन क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। यह विचार सामने लाया है रूस के कट्टर दुश्मन माने जाने वाले देश यूक्रेन के एक इंजीनियर ने। उन्होंने एक ऐसा सिस्टम डिज़ाइन किया है जिसे “Detachable Cabin System” यानी अलग हो सकने वाला केबिन सिस्टम कहा जा रहा है।
क्या है डिटैचेबल केबिन सिस्टम?
Detachable Cabin System एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जिसमें किसी भी आपात स्थिति में विमान का यात्री खंड यानी केबिन, विमान के मुख्य ढांचे से अलग होकर सुरक्षित रूप से जमीन या पानी पर लैंड कर सकेगा। इस सिस्टम को कुछ इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि अगर फ्लाइट के दौरान कोई गंभीर खतरा पैदा होता है—जैसे इंजन फेल होना, तकनीकी खराबी आना या आतंकवादी हमला—तो विमान का यात्री हिस्सा तुरंत मुख्य बॉडी से अलग हो जाए। इस अलग होते ही केबिन में लगे सैकड़ों पैराशूट सक्रिय हो जाएंगे और धीरे-धीरे पूरे केबिन को नीचे लाकर सुरक्षित उतार देंगे।
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यात्रियों को किसी व्यक्तिगत पैराशूट की जरूरत नहीं होगी और न ही उन्हें प्लेन से कूदने का जोखिम उठाना पड़ेगा। पूरा केबिन एक यूनिट के रूप में खुद ही नीचे लैंड करेगा।
काम करने का तरीका
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सिस्टम पर अभी रिसर्च चल रही है। जब भी विमान में कोई बड़ी खराबी आती है या आपात स्थिति बनती है, जैसे कि तकनीकी फेल्योर, बम धमाका, या विमान पर मिसाइल हमला, तो केबिन कुछ ही सेकंड्स में मेन बॉडी से अलग हो जाएगा। अलग होने के तुरंत बाद पैराशूट्स खुल जाएंगे और यह केबिन एक सुलझे हुए प्रोसेस से नीचे लैंड करेगा। अगर विमान पानी के ऊपर है, तो केबिन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह पानी की सतह पर उतर सके और यात्रियों को बचाया जा सके।
इसके अलावा, केबिन के साथ बोट जैसी संरचना भी जोड़ी जा सकती है, जिससे वह पानी में बहने या डूबने की स्थिति से बच सके। अंदर ऑक्सीजन सप्लाई, GPS सिस्टम और इमरजेंसी फूड-पैकेट जैसी व्यवस्थाएं भी होंगी ताकि यात्री बचाव टीम के पहुंचने तक सुरक्षित रह सकें।
क्या यह टेक्नोलॉजी हकीकत बन पाएगी?
इस समय यह पूरा कॉन्सेप्ट एक विचार या रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में ही देखा जा रहा है। यूक्रेन के एक इंजीनियर द्वारा विकसित इस विचार पर अभी तक किसी बड़ी एविएशन कंपनी ने सार्वजनिक रूप से काम करने की बात नहीं कही है। कुछ साल पहले इस डिटैचेबल सिस्टम की एक एनिमेटेड वीडियो वायरल हुई थी, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे केबिन अलग होकर पैराशूट के ज़रिए नीचे आता है। उस समय भी इस विचार को काफी सराहा गया था, लेकिन इसे व्यावहारिक रूप देना अभी बाकी है।
विमानन क्षेत्र में किसी भी नई तकनीक को लागू करना आसान नहीं होता। इसके लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है—
तकनीकी जटिलता – एक भारीभरकम विमान से केबिन को अलग करना और फिर पैराशूट के ज़रिए उसे सुरक्षित उतारना बेहद जटिल प्रक्रिया है।
लागत – इस सिस्टम को बनाने और इंस्टॉल करने की लागत बहुत ज्यादा होगी, जिससे विमान टिकट महंगे हो सकते हैं।
वजन और डिज़ाइन – एक अतिरिक्त सिस्टम लगाने से विमान का वजन बढ़ेगा, जिससे उसकी परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा।
मान्यता और टेस्टिंग – इस टेक्नोलॉजी को किसी भी देश में लागू करने से पहले अंतरराष्ट्रीय एविएशन अथॉरिटीज की मंजूरी और कई बार टेस्टिंग जरूरी होगी।
भविष्य की उम्मीद
भले ही यह तकनीक अभी वास्तविकता से दूर है, लेकिन इस दिशा में किया गया यह प्रयास मानव जीवन की सुरक्षा के लिए एक बेहद अहम कदम माना जा सकता है। Detachable Cabin System जैसा विचार अगर पूरी तरह से तैयार हो जाता है और व्यावहारिक रूप से विमान में लागू हो जाता है, तो यह लाखों लोगों की जान बचाने में मदद कर सकता है।
आज जब दुनिया तेजी से तकनीकी विकास की ओर बढ़ रही है, तो ऐसे इनोवेशन का भविष्य में विमानन क्षेत्र में उपयोग होना कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। शायद कुछ सालों बाद हम ऐसे विमानों में सफर करें जिनमें केवल उड़ान भरना ही नहीं बल्कि दुर्घटना में सुरक्षित उतरना भी सुनिश्चित हो।
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