क्या अस्थमा की बीमारी पूरी तरह से खत्म हो सकती है? जानें एक्सपर्ट की राय | World Asthma Day 2025
May 6, 2025
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हर साल मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना
हर साल मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक करना है। इस साल यह दिन 6 मई को मनाया जा रहा है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी प्रभावित कर सकती है। खास बात यह है कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है, लेकिन क्या इसे पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने डॉक्टरों और विशेषज्ञों से बात की।
अस्थमा क्या है?
अस्थमा एक क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज (chronic respiratory disease) है, जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब फेफड़ों की वायु नली यानी एयरवेज में सूजन आ जाती है, अत्यधिक बलगम बनता है और एयरवेज की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। इससे वायु मार्ग संकुचित हो जाता है और रोगी को सांस लेने में दिक्कत होती है।
अस्थमा के मुख्य कारण
वायु प्रदूषण: आज के समय में वायु प्रदूषण अस्थमा का सबसे बड़ा कारण बन चुका है, खासकर शहरी इलाकों में।
अनुवांशिक कारण: अगर परिवार में किसी को अस्थमा है, तो अगली पीढ़ी में इसकी संभावना बढ़ जाती है।
फेफड़ों का संक्रमण: खासकर बचपन में होने वाला RSV (Respiratory Syncytial Virus) संक्रमण अस्थमा का कारण बन सकता है।
रासायनिक तत्वों का संपर्क: कीटनाशक, डिटर्जेंट, धूल और धुएं के संपर्क में आने से भी अस्थमा हो सकता है।
एलर्जी और पालतू जानवर: एलर्जी की प्रतिक्रिया और पालतू जानवरों के बाल भी ट्रिगर का काम करते हैं।
क्या अस्थमा पूरी तरह ठीक हो सकता है?
डॉक्टरों के अनुसार, अस्थमा को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है, लेकिन इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। अगर सही समय पर पहचान और इलाज किया जाए तो मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
डॉ. आर. के. शर्मा, रेस्पिरेटरी स्पेशलिस्ट बताते हैं:
“अस्थमा को ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन मॉडर्न मेडिसिन और इनहेलर थेरेपी की मदद से इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है। ज़रूरी है कि मरीज नियमित रूप से दवा लें और ट्रिगर्स से बचें।”
अस्थमा के लक्षण
बार-बार खांसी आना (खासकर रात में या सुबह)
सांस लेने में तकलीफ
सीने में जकड़न
सीटी जैसी आवाज के साथ सांस आना
जल्दी थकान महसूस होना
इन लक्षणों को नज़रअंदाज करने पर स्थिति गंभीर हो सकती है और मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है।
इलाज और प्रबंधन
इनहेलर का इस्तेमाल: अस्थमा के इलाज में इनहेलर सबसे ज्यादा कारगर माने जाते हैं, जो सीधे फेफड़ों तक दवा पहुंचाते हैं।
नियमित दवाएं: डॉक्टर द्वारा दी गई दवाएं समय पर लेना जरूरी है, चाहे लक्षण कम हो जाएं।
एलर्जी से बचाव: धूल, धुएं, पराग कणों, पालतू जानवरों के संपर्क से बचें।
योग और प्राणायाम: नियमित प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सांस लेने में सुधार होता है।
वातावरण में सुधार: घर और ऑफिस में वेंटिलेशन अच्छा रखें, एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें।
बच्चों में अस्थमा का खतरा क्यों अधिक?
बचपन में फेफड़ों की ग्रोथ पूरी नहीं होती और अगर इस दौरान कोई वायरल संक्रमण होता है, तो यह लंबे समय तक असर डाल सकता है। इसके अलावा बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है और वे एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बच्चों में समय पर अस्थमा की पहचान हो जाए और सही इलाज शुरू किया जाए, तो वे सामान्य जीवन जी सकते हैं।
कैसे करें अस्थमा से बचाव?
वायु प्रदूषण से बचने के लिए N95 मास्क पहनें
सर्दी-खांसी को नजरअंदाज न करें
फेफड़ों की जांच समय-समय पर कराएं
स्मोकिंग से दूर रहें
घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
निष्कर्ष
अस्थमा एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है। इसे पूरी तरह खत्म करना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन जागरूकता, सही जीवनशैली और समय पर इलाज से मरीज एक सामान्य, स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है।
विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर यह जरूरी है कि हम खुद भी जागरूक बनें और दूसरों को भी जागरूक करें, ताकि इस बीमारी से जुड़ी गलतफहमियों को दूर किया जा सके और समय रहते सही इलाज सुनिश्चित किया जा सके।