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Bihar Election 2025: Tejashwi Yadav becomes the first choice, नीतीश कुमार खिसके तीसरे पायदान पर – जानिए C-Voter सर्वे की पूरी रिपोर्ट

  • April 21, 2025
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बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा चुकी है। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही नेता, पार्टी और जनता – तीनों ही चुनावी मूड में आ चुके

Bihar Election 2025: Tejashwi Yadav becomes the first choice, नीतीश कुमार खिसके तीसरे पायदान पर – जानिए C-Voter सर्वे की पूरी रिपोर्ट

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा चुकी है। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही नेता, पार्टी और जनता – तीनों ही चुनावी मूड में आ चुके हैं। ऐसे में हाल ही में आए C-Voter सर्वे ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस सर्वे के मुताबिक, तेजस्वी यादव इस बार बिहार के लोगों की मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बनकर उभरे हैं, जबकि राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नीतीश कुमार अब इस रेस में तीसरे नंबर पर खिसक गए हैं।

यह सर्वे बिहार की आगामी राजनीतिक तस्वीर को बयां करता है और कई बड़े संकेत देता है। आइए इस लेख में जानते हैं कौन हैं जनता की पसंद, कौन हुआ पीछे और क्या हैं इसके मायने।

सर्वे की मुख्य बातें

C-Voter के इस प्री-पोल सर्वे में बिहार के अलग-अलग जिलों और वर्गों के लोगों से बात की गई। सवाल था – “अगर आज चुनाव हो जाए, तो आप किसे बिहार का अगला मुख्यमंत्री देखना चाहेंगे?”

सर्वे में सामने आए टॉप 3 उम्मीदवार:

  1. तेजस्वी यादव (RJD) – 39%
  2. प्रशांत किशोर (जन सुराज) – 28%
  3. नीतीश कुमार (JDU) – 21%

बाकी प्रतिशत अन्य नेताओं या “कोई नहीं कह सकता” जैसी श्रेणियों में बंट गया।

तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता

तेजस्वी यादव ने पिछले कुछ वर्षों में खुद को सिर्फ एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में नहीं, बल्कि युवा और सक्रिय नेता के रूप में स्थापित किया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी RJD को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन सरकार बनाने से चूक गए।

उनकी युवाओं, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर केंद्रित राजनीति जनता को लुभा रही है। साथ ही, वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं, जिससे युवा वर्ग के बीच उनकी अच्छी पकड़ बन चुकी है।

प्रशांत किशोर का तेजी से उभार

चौंकाने वाली बात यह रही कि राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने 28% लोगों की पसंद बनकर दूसरी पायदान पर जगह बना ली है। ‘जन सुराज’ अभियान के जरिए वह गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं, और इसका असर साफ दिखाई दे रहा है।

प्रशांत किशोर को राजनीतिक समझ और रणनीति की गहरी पकड़ के लिए जाना जाता है। चाहे वह नरेंद्र मोदी का 2014 का कैंपेन हो या ममता बनर्जी की 2021 की जीत – PK की रणनीति अहम रही है। अब जब वे खुद मैदान में हैं, लोग उन्हें एक नई और विकल्पपूर्ण राजनीति के रूप में देख रहे हैं।

नीतीश कुमार की गिरती लोकप्रियता

कभी बिहार की राजनीति के सबसे मजबूत स्तंभ माने जाने वाले नीतीश कुमार अब सर्वे में तीसरे नंबर पर हैं। ऐसा क्यों?

  • लगातार गठबंधन बदलने और राजनीतिक अस्थिरता ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है।
  • जनता उन्हें थका हुआ और पुराने तरीके वाला नेता मानने लगी है।
  • युवा वर्ग को लगता है कि नीतीश सरकार ने रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर कोई ठोस काम नहीं किया।

हालांकि नीतीश कुमार का प्रशासनिक अनुभव और जमीनी पकड़ आज भी मजबूत है, लेकिन लोकप्रियता में वे पिछड़ते दिख रहे हैं।

Bihar Election 2025

सामाजिक समीकरण और वोट बैंक

बिहार में जातीय समीकरण और वोट बैंक हमेशा से चुनावी नतीजों को प्रभावित करते रहे हैं।

  • तेजस्वी यादव को यादव, मुस्लिम और पिछड़े वर्गों का समर्थन मिलता रहा है।
  • नीतीश कुमार को कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग का समर्थन रहा है, लेकिन इसमें कमी आई है।
  • प्रशांत किशोर जातीय समीकरण से हटकर एक नई सोच वाले नेता के रूप में उभर रहे हैं, जिससे शहरी मध्यम वर्ग और युवा उन्हें पसंद कर रहे हैं।

आगामी चुनाव में गठबंधन की भूमिका

2025 के चुनाव में गठबंधन की अहम भूमिका रहेगी। यदि RJD, कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो तेजस्वी यादव की स्थिति और मजबूत होगी। वहीं NDA (भाजपा और जेडीयू) की एकता पर भी सवाल उठते रहे हैं।

अगर प्रशांत किशोर किसी बड़े गठबंधन का हिस्सा नहीं बने, तो वे किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।

जनता की राय क्या कहती है?

सर्वे के दौरान कुछ लोगों से लिए गए रिएक्शन इस प्रकार थे:

  • रोहित (पटना): “तेजस्वी यादव की बातों में दम है। बेरोजगारी पर फोकस करते हैं, इसलिए मेरी पसंद वही हैं।”
  • अनामिका (दरभंगा): “प्रशांत किशोर में नयापन है। बिहार को नए सोच की जरूरत है।”
  • रमेश (नालंदा): “नीतीश जी ने पहले बहुत काम किया, लेकिन अब बदलाव जरूरी है।”

निष्कर्ष

C-Voter सर्वे ने बिहार की राजनीति को एक नई दिशा दिखा दी है। तेजस्वी यादव जहां युवाओं और गरीबों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर एक सक्रिय और योजनाबद्ध विकल्प बनकर उभर रहे हैं। नीतीश कुमार के सामने अब अपनी लोकप्रियता वापस पाने की बड़ी चुनौती है।

आगामी महीनों में चुनावी रणनीति, गठबंधन और नेताओं के फैसले इस तस्वीर को और स्पष्ट करेंगे। लेकिन एक बात साफ है – बिहार के मतदाता बदलाव की ओर देख रहे हैं

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