Big action of ED in National Herald case: 661 करोड़ की संपत्ति पर कब्जे का नोटिस, जानिए पूरी कहानी
April 15, 2025
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नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर से सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की करीब 661
नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर से सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की करीब 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर कब्जे का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में स्थित संपत्तियों को लेकर जारी किया गया है। इस कार्रवाई ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम जनता के बीच भी इस केस को लेकर जिज्ञासा बढ़ा दी है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि क्या है नेशनल हेराल्ड केस, ED की कार्रवाई क्या है, और इससे आगे की प्रक्रिया क्या हो सकती है।
नेशनल हेराल्ड केस: एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि
नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अखबार को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा प्रकाशित किया जाता था। समय के साथ अखबार का संचालन बंद हो गया, लेकिन कंपनी (AJL) के पास देश भर में कई प्रमुख शहरों में कीमती संपत्तियां हैं।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब आरोप लगा कि कांग्रेस पार्टी ने यंग इंडियन नाम की एक नई कंपनी बनाकर AJL की 90% से अधिक हिस्सेदारी ले ली, जिससे उसकी सारी संपत्तियां अप्रत्यक्ष रूप से यंग इंडियन के नियंत्रण में आ गईं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस यंग इंडियन कंपनी में प्रमुख शेयरधारक हैं।
विपक्ष, खासकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि यह एक प्रकार की संपत्ति हड़पने की योजना थी और इसमें मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। इसी आरोप के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में जांच शुरू की।
ED की ताजा कार्रवाई: किन संपत्तियों पर नोटिस?
ED ने जो हालिया नोटिस जारी किया है, वह संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया से जुड़ा है। नोटिस दिल्ली, मुंबई और लखनऊ की तीन प्रमुख संपत्तियों को लेकर जारी किए गए हैं:
दिल्ली (ITO): हेराल्ड हाउस
मुंबई: बांद्रा में स्थित एक संपत्ति
लखनऊ: बिशेश्वर नाथ मार्ग पर स्थित ‘एजेएल बिल्डिंग’
ED ने इन परिसरों पर नोटिस चस्पा कर दिए हैं और उसमें साफ तौर पर कहा है कि इन संपत्तियों को या तो खाली किया जाए या मुंबई की संपत्ति के मामले में किराया प्रवर्तन निदेशालय को हस्तांतरित किया जाए।
किन कानूनों के तहत हुई कार्रवाई?
इस कार्रवाई को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 8 और नियम 5(1) के तहत अंजाम दिया गया है। इन प्रावधानों के अनुसार, यदि किसी संपत्ति को अवैध या मनी लॉन्ड्रिंग से अर्जित माना जाता है और उसे कुर्क किया गया है, तो निर्णायक प्राधिकरण की मंजूरी के बाद ED उस पर कब्जा कर सकता है।
यह कदम तब उठाया गया है जब ED की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला गया कि AJL की संपत्तियां अवैध रूप से ट्रांसफर की गई थीं और उनमें मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिले हैं।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। पार्टी के नेता यह दावा करते आए हैं कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी संस्था है और इस ट्रांजैक्शन में किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों इस केस में पहले ही ED के सामने पेश हो चुके हैं और पूछताछ का सामना कर चुके हैं। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही है।
राजनीतिक असर: आने वाले चुनावों में मुद्दा?
ED की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब देश में लोकसभा चुनावों का माहौल गर्म है। ऐसे में यह मामला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इसे सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण बताएगा, वहीं सत्ताधारी पार्टी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के तौर पर पेश करेगी।
चुनावी रैलियों और टीवी डिबेट्स में यह मामला ज़रूर गूंजेगा।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
ED ने अब कब्जे का नोटिस जारी कर दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि संपत्तियां तत्काल ED के अधिकार में आ जाएंगी। इसके लिए कुछ प्रक्रिया है:
संबंधित पक्षों को नोटिस का जवाब देने का अवसर मिलेगा।
वे इसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं।
यदि कोर्ट से राहत नहीं मिलती, तो ED संपत्ति पर वास्तविक कब्जा ले सकती है।
बाद में यह संपत्ति सरकार के पास स्थायी रूप से चली जाती है या नीलामी की जा सकती है।
आम जनता के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
यह केस राजनीतिक पारदर्शिता और नेताओं की संपत्ति के उपयोग पर सवाल उठाता है।
इससे यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे कंपनियों के ज़रिए बड़ी-बड़ी संपत्तियों को कंट्रोल किया जा सकता है।
यह मामला यह भी दिखाता है कि कानूनी प्रक्रिया और प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका कितनी निर्णायक हो सकती है।
यदि कोर्ट ED की कार्रवाई को वैध ठहराता है, तो यह भविष्य में ऐसे मामलों की नजीर बन सकता है।
निष्कर्ष: कानूनी और राजनीतिक लड़ाई अभी बाकी है
नेशनल हेराल्ड केस में ED की ताज़ा कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है। हालांकि, अंतिम निर्णय अदालत में होगा और प्रक्रिया लंबी चल सकती है। इस बीच, यह मामला देश की राजनीति और मीडिया दोनों में चर्चा का विषय बना रहेगा।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस नोटिस का क्या जवाब देती है और क्या कोर्ट से उसे राहत मिलती है या नहीं। एक तरफ कानून की प्रक्रिया जारी है, दूसरी ओर सियासी पारा भी चढ़ता नजर आ रहा है।