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Self-KYC पर रोक: घर बैठे सिम मंगवाने की Airtel-Blinkit सुविधा बंद, सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?

  • May 3, 2025
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देश की प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनी Airtel ने हाल ही में Blinkit के साथ मिलकर एक अनोखी सुविधा शुरू की थी। इस सुविधा के तहत ग्राहकों को मात्र

Self-KYC पर रोक: घर बैठे सिम मंगवाने की Airtel-Blinkit सुविधा बंद, सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?

देश की प्रमुख निजी दूरसंचार कंपनी Airtel ने हाल ही में Blinkit के साथ मिलकर एक अनोखी सुविधा शुरू की थी। इस सुविधा के तहत ग्राहकों को मात्र 10 मिनट में नया सिम कार्ड उनके घर पर डिलीवर किया जा रहा था। इतना ही नहीं, इस सिम को Self-KYC के जरिए बिना किसी स्टोर विज़िट के घर बैठे ही एक्टिवेट भी किया जा सकता था।

यह सेवा खासकर उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जा रही थी जो स्टोर जाने का समय नहीं निकाल सकते थे या जो घर बैठे डिजिटल सुविधा का लाभ लेना चाहते थे। लेकिन अब दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications – DoT) ने इस सेवा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

क्या थी Airtel-Blinkit की Self-KYC सिम डिलीवरी सेवा?

Airtel ने Blinkit के साथ मिलकर एक डिजिटल सिम डिलीवरी सिस्टम शुरू किया था, जिसमें ग्राहक Blinkit ऐप से सिम कार्ड ऑर्डर कर सकते थे। Blinkit की फास्ट डिलीवरी सिस्टम की मदद से मात्र 10 से 15 मिनट में Airtel का नया सिम कार्ड ग्राहक के दरवाजे तक पहुंचाया जाता था

इस सेवा को शुरू में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ, चेन्नई जैसे देश के 16 बड़े शहरों में लॉन्च किया गया था। इस सेवा में ग्राहक को Airtel Thanks ऐप के जरिए अपनी पहचान आधार नंबर और OTP के माध्यम से खुद वेरीफाई करनी होती थी। इस प्रक्रिया को ही Self-KYC कहा जाता है।

Self-KYC का मुख्य आकर्षण यह था कि इसमें बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन की आवश्यकता नहीं थी और ग्राहक को Airtel स्टोर या किसी रिटेलर के पास जाकर पहचान पत्र देने की जरूरत नहीं पड़ती थी। इससे सारा प्रोसेस डिजिटल हो गया था और ग्राहक को केवल ऐप के माध्यम से पहचान सत्यापित करनी होती थी।

Self-KYC क्यों पड़ा शक के घेरे में?

हालांकि यह सेवा तकनीकी दृष्टिकोण से काफी उन्नत और ग्राहक सुविधा के लिहाज से सराहनीय थी, लेकिन सुरक्षा और कानून व्यवस्था के नजरिए से यह प्रणाली खामियों से भरी हुई मानी गई

दूरसंचार विभाग (DoT) ने पाया कि Self-KYC प्रक्रिया में सिम कार्ड का वितरण बिना किसी मजबूत पहचान सत्यापन के हो सकता है। अगर इस प्रक्रिया में ठगी या धोखाधड़ी हुई तो इसका इस्तेमाल साइबर अपराध, धोखाधड़ी, फर्जी पहचान पर रजिस्ट्रेशन जैसे गैरकानूनी कार्यों में किया जा सकता है।

DoT के अधिकारियों का मानना है कि जब कोई व्यक्ति खुद ही अपनी पहचान को सत्यापित कर रहा है और उसमें बायोमैट्रिक पुष्टि शामिल नहीं है, तो ऐसे मामलों में गलत व्यक्ति फर्जी पहचान से सिम प्राप्त कर सकता है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

क्या कहता है सरकार का नया नियम?

सरकार ने 2023 के बाद से सिम कार्ड से जुड़े नियमों को काफी सख्त कर दिया है। अब कोई भी सिम कार्ड बिना बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन के जारी नहीं किया जा सकता। पहले जहां आधार या अन्य दस्तावेज़ों के माध्यम से सिम मिल जाता था, अब केवल फिजिकल पहचान और बायोमैट्रिक जांच के बाद ही नया सिम कार्ड जारी किया जा सकता है।

दूरसंचार विभाग ने सभी टेलीकॉम कंपनियों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि:

  • सिम कार्ड देने से पहले पूरी KYC प्रक्रिया अनिवार्य है।
  • Self-KYC जैसी प्रणाली में किसी भी रूप में बायोमैट्रिक की कमी स्वीकार नहीं की जाएगी

Airtel और Blinkit ने क्या कहा?

अब तक Airtel या Blinkit की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। हालांकि ऐप में अब Self-KYC विकल्प उपलब्ध नहीं है, और Blinkit पर सिम कार्ड डिलीवरी की सेवा को भी अस्थायी रूप से हटा लिया गया है

इससे साफ है कि कंपनियों ने सरकार के निर्देशों को मानते हुए अपनी सेवाओं में तुरंत बदलाव किया है, लेकिन यह भी संभव है कि आने वाले दिनों में कोई नया समाधान पेश किया जाए, जिसमें Self-KYC को सरकारी मानकों के अनुरूप सुरक्षित तरीके से दोबारा शुरू किया जा सके।

Self-KYC के लाभ और जोखिम

लाभ:

  • ग्राहक को घर बैठे सिम मिल जाता है
  • स्टोर जाने की जरूरत नहीं
  • तेज़ और सुविधाजनक सेवा
  • डिजिटल इंडिया के उद्देश्यों को बढ़ावा

जोखिम:

  • फर्जी पहचान से सिम जारी होने की आशंका
  • साइबर अपराधियों के लिए आसान रास्ता
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
  • ग्राहक का निजी डेटा लीक होने की संभावना

आगे क्या?

Airtel और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के लिए यह एक संकेत है कि वे कोई भी नई सेवा शुरू करने से पहले उसे भारत सरकार के सुरक्षा मानकों के अनुसार डिजाइन करें

डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ यूज़र की पहचान और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उतना ही ज़रूरी है। आने वाले समय में अगर कंपनियां Self-KYC को बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन या अन्य मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ दोबारा पेश करती हैं, तो यह सुविधा फिर से वापसी कर सकती है।

निष्कर्ष

Self-KYC जैसी आधुनिक प्रणाली ग्राहकों के लिए सुविधाजनक ज़रूर है, लेकिन बिना कड़े सुरक्षा उपायों के इसका इस्तेमाल जोखिम भरा हो सकता है। सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम नागरिकों की सुरक्षा और साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए ज़रूरी है। अब देखना यह होगा कि Airtel और Blinkit इस पर क्या अगला कदम उठाते हैं और Self-KYC का भविष्य क्या होता है।

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