माइग्रेन और साइटिका का आयुर्वेदिक इलाज: दर्द से राहत पाने के पारंपरिक उपाय
- May 8, 2025
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आज के तनावपूर्ण जीवन में माइग्रेन और साइटिका जैसी बीमारियां आम होती जा रही हैं। इन दोनों ही स्थितियों में मरीज को काफी कष्ट झेलना पड़ता है। लेकिन
आज के तनावपूर्ण जीवन में माइग्रेन और साइटिका जैसी बीमारियां आम होती जा रही हैं। इन दोनों ही स्थितियों में मरीज को काफी कष्ट झेलना पड़ता है। लेकिन
आज के तनावपूर्ण जीवन में माइग्रेन और साइटिका जैसी बीमारियां आम होती जा रही हैं। इन दोनों ही स्थितियों में मरीज को काफी कष्ट झेलना पड़ता है। लेकिन आयुर्वेद में इनके इलाज के लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जो न केवल इन रोगों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, बल्कि जड़ से ठीक करने की क्षमता भी रखते हैं।
माइग्रेन में आमतौर पर सिर के एक तरफ तीव्र, धड़कता हुआ दर्द होता है, जो 4 से 72 घंटे तक लगातार बना रह सकता है। यह दर्द इतना तीव्र होता है कि रोगी काम करने की स्थिति में नहीं रहता। दूसरी ओर, साइटिका एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें कूल्हे से लेकर एड़ी तक की नसों में तेज़ दर्द होता है। यह दर्द लगातार बना रहता है और कई बार इतना असहनीय होता है कि मरीज के लिए बैठना, चलना या उठना भी मुश्किल हो जाता है।
आयुर्वेद मानता है कि शरीर में जब वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ता है, तब बीमारियां जन्म लेती हैं। इन तीनों दोषों को संतुलित करके ही किसी भी रोग से निजात पाई जा सकती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में जड़ से इलाज के लिए पहले यह पहचाना जाता है कि रोग किस दोष के कारण हुआ है—वातज, पित्तज या कफज—और फिर उसी के अनुसार उपचार किया जाता है।
क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अशोक राणा बताते हैं कि माइग्रेन और साइटिका दोनों ही रोगों का इलाज आयुर्वेद में संभव है, बशर्ते सही निदान और उपचार किया जाए।
अगर लंबे समय से इलाज करवाने के बाद भी आपको माइग्रेन या साइटिका में आराम नहीं मिल रहा है, तो आप आयुर्वेद के प्राकृतिक उपायों को अपना सकते हैं। लेकिन इन्हें शुरू करने से पहले किसी योग्य और अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। बिना मार्गदर्शन के घरेलू उपाय करने से लाभ की बजाय नुकसान भी हो सकता है।
आयुर्वेद में मान्यता है कि जब तक शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन नहीं बनता, तब तक बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं होती। इसलिए सही इलाज के लिए इन तीनों दोषों की स्थिति की पहचान करना और अनुभवी वैद्य की निगरानी में इनका संतुलन बनाना बहुत जरूरी है।
माइग्रेन और साइटिका जैसी तकलीफदेह समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा एक सुरक्षित और कारगर विकल्प हो सकता है। यह शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बहाल करता है और लंबे समय तक स्थायी राहत देने में मदद करता है। जरूरी है कि समय पर निदान हो और सही मार्गदर्शन में इलाज शुरू किया जाए।
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