Australia increases defense budget by $1 billion : बढ़ी कई देशों की चिंता
- March 24, 2025
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ऑस्ट्रेलिया ने अपने रक्षा खर्च में 1 बिलियन डॉलर (करीब 5,500 करोड़ रुपये) का इजाफा करने का फैसला किया है। यह निर्णय देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने
ऑस्ट्रेलिया ने अपने रक्षा खर्च में 1 बिलियन डॉलर (करीब 5,500 करोड़ रुपये) का इजाफा करने का फैसला किया है। यह निर्णय देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने
ऑस्ट्रेलिया ने अपने रक्षा खर्च में 1 बिलियन डॉलर (करीब 5,500 करोड़ रुपये) का इजाफा करने का फैसला किया है। यह निर्णय देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए लिया गया है और इसका असर क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी पड़ेगा। यह बढ़ा हुआ बजट अगले मंगलवार को पेश होने वाले यूनियन बजट में शामिल किया जाएगा। इस कदम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामरिक संतुलन प्रभावित हो सकता है, जिससे चीन और अन्य पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ सकती है।
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने इस फैसले को देश की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि ऑस्ट्रेलिया की सेना को अधिक आधुनिक और प्रभावशाली बनाएगी। यह रक्षा बजट वृद्धि गाइडेड वेपन्स (नियंत्रित हथियारों), AUKUS पनडुब्बी बेस के निर्माण और फ्रिगेट (युद्धपोत) कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाएगी।
रक्षा बजट में यह वृद्धि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है। मार्ल्स ने कहा कि अगले चार वर्षों में रक्षा खर्च में 10.6 बिलियन डॉलर (करीब 6.66 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की और वृद्धि की जाएगी। यह पहले से घोषित 50 बिलियन डॉलर के रक्षा पैकेज का हिस्सा है, जिसे अगले 10 वर्षों में बढ़ाया जाएगा।
इस फैसले के पीछे अमेरिका का भी दबाव माना जा रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और अन्य अमेरिकी अधिकारियों ने अपने सहयोगी देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने की मांग की थी। ऑस्ट्रेलिया ने इसी दबाव के तहत अपने रक्षा बजट में इस तरह की बड़ी वृद्धि की है।
सरकार ने घोषणा की है कि इस 1 बिलियन डॉलर को जल्द से जल्द खर्च किया जाएगा, ताकि सैन्य शक्ति को तेजी से मजबूत किया जा सके। इस बजट का एक बड़ा हिस्सा गाइडेड वेपन्स और एक्सप्लोसिव्स एंटरप्राइज (GWEO) को स्थापित करने, पनडुब्बी कार्यक्रम को तेज़ी से आगे बढ़ाने और नए युद्धपोतों के निर्माण में लगाया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में 42 HIMARS (हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम) लॉन्चर अमेरिका से खरीदे हैं। यह वही सिस्टम है जिसे यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया गया था और इसने काफी प्रभावी प्रदर्शन किया था। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया को 500 किलोमीटर रेंज वाली प्रिसिशन स्ट्राइक मिसाइलें भी मिलेंगी, जो HIMARS सिस्टम के साथ तैनात की जाएंगी।
AUKUS (ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका का सैन्य गठबंधन) इस फैसले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया में अमेरिकी और ब्रिटिश पनडुब्बियों की तैनाती होगी। साल 2027 तक चार अमेरिकी और एक ब्रिटिश पनडुब्बी ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े नौसैनिक बेस HMAS स्टर्लिंग में गश्त करेंगी।
ऑस्ट्रेलिया के इस फैसले से सबसे अधिक चिंता चीन को हो सकती है, जो पहले से ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य विस्तार कर रहा है। इसके अलावा, इंडोनेशिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने भी इस बढ़ते सैन्यीकरण पर चिंता जताई है। चीन ने पहले भी AUKUS समझौते की आलोचना की थी और इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया था।
ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने रक्षा बजट में किया गया यह इजाफा न केवल देश की सैन्य ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन को भी प्रभावित करेगा। HIMARS और नई मिसाइलों की खरीद, AUKUS पनडुब्बी तैनाती और रक्षा ठिकानों के विस्तार से ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा मजबूत होगी, लेकिन यह चीन और अन्य पड़ोसी देशों के लिए चिंता का विषय बन सकता है। आने वाले समय में इस फैसले के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पर करीबी नजर रखना जरूरी होगा।