मैनपुरी में ब्राह्मण समाज का आक्रोश: अखिलेश यादव का पुतला फूंका, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर टिप्पणी से नाराजगी
May 20, 2025
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उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों सोशल मीडिया पर की गई एक टिप्पणी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल से
उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों सोशल मीडिया पर की गई एक टिप्पणी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल से उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के डीएनए को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद ब्राह्मण समाज में भारी आक्रोश देखने को मिला है। इस विवाद के विरोध में मैनपुरी में ब्राह्मण समाज ने सड़कों पर उतरकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का पुतला दहन किया और जोरदार नारेबाजी की।
विवाद की जड़: डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर की गई टिप्पणी
समाजवादी पार्टी के एक आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और डीएनए को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की गई थी। इस टिप्पणी को लेकर सपा की चौतरफा आलोचना हो रही है। विरोध के स्वर सबसे पहले ब्राह्मण समाज से उठे, जिसने इस पोस्ट को न केवल व्यक्तिगत हमला बताया बल्कि पूरे ब्राह्मण समाज का अपमान करार दिया।
अखिलेश यादव का पुतला फूंका गया
मैनपुरी के रोडवेज बस स्टैंड पर सर्व ब्राह्मण समाज के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया, जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का पुतला फूंका गया। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, जिसमें उन्होंने सपा की “विभाजनकारी राजनीति” और “समाज को बांटने की मानसिकता” की आलोचना की। उनका कहना था कि सपा की भाषा शैली समाज के ताने-बाने को तोड़ने वाली है और यह अब सहन नहीं किया जाएगा।
ब्राह्मण समाज की चेतावनी
सर्व ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश चंद्र पांडे ने सख्त शब्दों में कहा, “ब्राह्मण समाज अब चुप नहीं बैठेगा। अगर अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी, तो प्रदेश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि पूरे ब्राह्मण समाज के स्वाभिमान पर चोट है।
वरिष्ठ समाजसेवी आशुतोष मिश्रा का बयान
मैनपुरी के वरिष्ठ समाजसेवी आशुतोष मिश्रा ने भी इस विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक समावेशी नेता हैं, जो सभी वर्गों को साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने सपा को चेतावनी दी कि इस तरह की भाषा शैली न केवल एक समुदाय का अपमान है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाती है।
सोशल मीडिया पोस्ट हटाया गया, पर विवाद थमा नहीं
विवाद बढ़ने के बाद समाजवादी पार्टी के IT सेल ने संबंधित पोस्ट को X (पूर्व में ट्विटर) से डिलीट कर दिया। लेकिन तब तक यह मुद्दा सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर आग की तरह फैल चुका था। खुद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने डिलीटेड पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए सपा पर तीखा हमला बोला और पूछा, “क्या यही आपकी पार्टी की भाषा है?”
उन्होंने लिखा, “अखिलेश जी, ये आपकी पार्टी का आधिकारिक हैंडल है? किसी के दिवंगत माता-पिता के लिए शब्दों का ऐसा चयन शर्मनाक है। आप अपनी पार्टी को किस स्तर तक ले आए हैं?”
राजनीतिक हलचल और भविष्य के संकेत
यह विवाद केवल मैनपुरी तक सीमित नहीं रहा। ब्राह्मण संगठनों और अन्य सामाजिक समूहों में इस बयान को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर सपा इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती और उचित स्पष्टीकरण या माफी नहीं देती, तो यह आगामी चुनावों में उसके लिए भारी पड़ सकता है।
सामाजिक समरसता बनाम राजनीतिक बयानबाजी
यह पूरा प्रकरण एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि क्या राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर मर्यादाओं का उल्लंघन करना चाहिए? क्या किसी भी समुदाय की भावनाओं को आहत करके राजनीति को धार दी जा सकती है?
ब्राह्मण समाज के प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह अपने सम्मान से किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। राजनीति में भाषा की मर्यादा और सामाजिक जिम्मेदारी को बनाए रखना अब पहले से कहीं अधिक ज़रूरी हो गया है।
निष्कर्ष:
मैनपुरी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। ब्राह्मण समाज के उग्र रुख से यह स्पष्ट है कि समाज अपने सम्मान को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहता। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी इस विवाद को कैसे संभालती है – माफी मांगकर मामला सुलझाती है या टकराव का रास्ता अपनाती है।