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कर्नाटक में यूपीआई लेनदेन पर 6000 GST नोटिस, व्यापारियों में मचा हड़कंप | Karnataka GST Notice से जुड़ी हर जानकारी

  • July 23, 2025
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Karnataka GST Notice: कर्नाटक में हाल ही में एक बड़ी आर्थिक हलचल देखने को मिली है, जब आयकर विभाग ने यूपीआई (UPI) ट्रांजेक्शन के आधार पर व्यापारियों को

कर्नाटक में यूपीआई लेनदेन पर 6000 GST नोटिस, व्यापारियों में मचा हड़कंप | Karnataka GST Notice से जुड़ी हर जानकारी

Karnataka GST Notice: कर्नाटक में हाल ही में एक बड़ी आर्थिक हलचल देखने को मिली है, जब आयकर विभाग ने यूपीआई (UPI) ट्रांजेक्शन के आधार पर व्यापारियों को बड़े पैमाने पर जीएसटी नोटिस (GST Notice) भेजने शुरू कर दिए हैं। अब तक करीब 6000 से अधिक Karnataka GST Notice जारी किए जा चुके हैं, जिससे छोटे और मध्यम व्यापारियों में जबरदस्त असंतोष और घबराहट देखने को मिल रही है।

इस कार्रवाई का सीधा असर उन दुकानदारों और व्यापारियों पर पड़ रहा है, जो डिजिटल भुगतान के रूप में UPI का प्रयोग करते हैं, खासतौर से वे जो रोजमर्रा की जरूरतों का सामान जैसे सब्जी, फल, किराना आदि बेचते हैं।

UPI लेनदेन बना टैक्स जांच का आधार

UPI

कर्नाटक में जारी किए गए इन Karnataka GST Notice में यह स्पष्ट किया गया है कि विभाग ने व्यापारियों के UPI ट्रांजेक्शन डेटा का विश्लेषण करके उन्हें नोटिस जारी किए हैं। इनमें ऐसे व्यापारी भी शामिल हैं जो GST के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं लेकिन जिनका डिजिटल लेनदेन, विशेष रूप से यूपीआई ट्रांजेक्शन, सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है।

एक उदाहरण के रूप में, एक सब्जी बेचने वाले दुकानदार को आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजा गया जिसमें यह बताया गया कि पिछले चार वर्षों में उसके द्वारा कुल 1.63 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया है। इस लेनदेन के आधार पर उसे 29 लाख रुपये का जीएसटी चुकाने का नोटिस थमा दिया गया है।

कर्नाटक के व्यापारी परेशान, विरोध की चेतावनी

इस कदम से कर्नाटक के व्यापारियों में भारी रोष है। कई व्यापारिक संगठनों ने इसे सरकार की जबरदस्ती करार दिया है और कहा है कि इससे छोटे व्यापारियों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। कर्नाटक के विभिन्न ट्रेडर्स एसोसिएशनों ने एकजुट होकर 25 जुलाई को राज्यव्यापी हड़ताल और UPI ट्रांजेक्शन के बहिष्कार की घोषणा की है। उनका कहना है कि अगर यह कार्रवाई वापस नहीं ली गई, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

व्यापारियों का कहना है कि UPI डिजिटल भुगतान का एक सरल और पारदर्शी माध्यम है जिसे सरकार ने खुद बढ़ावा दिया था। अब उसी आधार पर Karnataka GST Notice भेजना न केवल अनुचित है, बल्कि यह ईमानदार व्यापारियों को सजा देने जैसा है।

क्या कहती है सरकार?

कॉमर्शियल टैक्स की ज्वाइंट कमिश्नर मीरा सुरेश पंडित ने इस पूरे मामले पर सफाई दी है। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए स्पष्ट किया कि जिन व्यापारियों को Karnataka GST Notice भेजे गए हैं, वह कोई अंतिम टैक्स निर्धारण नहीं है। यह केवल एक प्रारंभिक नोटिस है, जिसमें व्यापारी से यह पूछा जा रहा है कि उसके द्वारा किए गए लेनदेन GST के दायरे में आते हैं या नहीं।

अगर व्यापारी अपने लेनदेन और व्यापारिक दस्तावेजों को पेश करते हैं और यह साबित करते हैं कि उनके लेन-देन GST के अंतर्गत नहीं आते, तो ऐसे मामलों में नोटिस वापस ले लिए जाएंगे

उन्होंने यह भी बताया कि GST कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये और वस्तु क्षेत्र में 40 लाख रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार करता है, तो उसका GST में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है। अगर कोई व्यक्ति इस नियम का पालन नहीं करता और डिजिटल माध्यमों से इतना लेन-देन करता है, तो विभाग उसे नोटिस भेज सकता है।

डिजिटल इंडिया के साथ विरोधाभास?

विपक्षी दलों और व्यापारिक नेताओं ने भी इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एक ओर सरकार डिजिटल इंडिया और कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की बात करती है, दूसरी ओर ईमानदारी से UPI ट्रांजेक्शन करने वाले व्यापारियों को नोटिस भेजकर डराया जा रहा है।

व्यापारियों की मांग है कि सरकार को पहले स्पष्ट गाइडलाइन बनानी चाहिए थी और उन्हें जागरूक करना चाहिए था, न कि अचानक Karnataka GST Notice भेजकर दबाव बनाना चाहिए।

Karnataka GST Notice के पीछे की मंशा क्या है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार का उद्देश्य टैक्स चोरी रोकना और टैक्स बेस बढ़ाना है। डिजिटल ट्रांजेक्शन की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन व्यापारी बिना रजिस्ट्रेशन के बड़ा व्यापार कर रहा है। हालांकि, इसमें भी पारदर्शिता और संवेदनशीलता की जरूरत है।

अगर छोटे दुकानदारों, जैसे सब्जी विक्रेता, दूधवाले या छोटे किराना व्यापारी को भारी टैक्स नोटिस थमा दिए जाएंगे, तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा सकती है और वे दोबारा नकद लेन-देन की ओर लौट सकते हैं, जिससे डिजिटल इंडिया मिशन को झटका लग सकता है।

निष्कर्ष

Karnataka GST Notice एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है जिसने व्यापारियों, सरकार और टैक्स विभाग के बीच विश्वास की खाई बना दी है। जहां एक ओर सरकार इसे कानून के तहत की गई कार्रवाई बता रही है, वहीं व्यापारी इसे अपनी स्वतंत्रता और व्यवसाय पर हमला मान रहे हैं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विभाग इस विरोध के बाद क्या रुख अपनाते हैं और क्या व्यापारियों की मांगों पर विचार करते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. Karnataka GST Notice क्या है?

Karnataka GST Notice एक प्रकार का कानूनी नोटिस है जो आयकर विभाग द्वारा उन व्यापारियों को भेजा जा रहा है जिन्होंने पिछले वर्षों में UPI के माध्यम से बड़ी मात्रा में लेनदेन किया है, लेकिन GST के तहत पंजीकृत नहीं हैं या टैक्स नहीं चुकाया है।

Q2. कितने व्यापारियों को अभी तक GST नोटिस जारी किए गए हैं?

अब तक लगभग 6000 व्यापारियों को Karnataka GST Notice जारी किए जा चुके हैं, जिनमें छोटे दुकानदार, सब्जी विक्रेता और अन्य स्थानीय व्यापारी शामिल हैं।

Q3. क्या ये नोटिस अंतिम टैक्स डिमांड है?

नहीं, ये नोटिस केवल प्राथमिक जांच नोटिस हैं। टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया है कि व्यापारी यदि उचित दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं और यह साबित करते हैं कि उनका कारोबार GST के दायरे में नहीं आता, तो नोटिस रद्द किया जा सकता है।

Q4. किस प्रकार के UPI लेनदेन पर ये नोटिस जारी किए गए हैं?

जिन व्यापारियों ने 20 लाख (सेवा क्षेत्र) और 40 लाख (वस्तु क्षेत्र) से अधिक का सालाना लेनदेन UPI के माध्यम से किया है, उन्हें ये नोटिस जारी किए गए हैं।

Q5. क्या सब्जी या फल बेचने वाले छोटे व्यापारी भी इस दायरे में हैं?

हां, रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ सब्जी विक्रेताओं को भी नोटिस मिला है, जिनका UPI ट्रांजेक्शन 1 करोड़ रुपये से अधिक का था।

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