बिजली नहीं, इस बार बादल गिरे! जानिए कैसे होता है ये अनोखा प्राकृतिक घटनाक्रम
- July 5, 2025
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इन दिनों देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हो रही है। खासकर पहाड़ी राज्यों में बारिश ने जबरदस्त तबाही मचा रखी है। कहीं सड़कों पर तेज बहाव
इन दिनों देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हो रही है। खासकर पहाड़ी राज्यों में बारिश ने जबरदस्त तबाही मचा रखी है। कहीं सड़कों पर तेज बहाव
इन दिनों देश के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हो रही है। खासकर पहाड़ी राज्यों में बारिश ने जबरदस्त तबाही मचा रखी है। कहीं सड़कों पर तेज बहाव वाला पानी बह रहा है, तो कहीं गांव और खेत डूब गए हैं। इस बीच, कुछ जगहों पर Cloud Burst यानी बादल फटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हाल ही में Cloud Burst हुआ, जिसमें भारी नुकसान हुआ।
अक्सर हम बिजली गिरने की घटनाओं के बारे में सुनते हैं, लेकिन “बादल गिरना” या Cloud Burst सुनकर लोग चौंक जाते हैं। आम बोलचाल में लोग इसे बादल गिरना कहते हैं, लेकिन वैज्ञानिक नजरिए से बात करें तो यह घटना बेहद जटिल और खतरनाक होती है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर क्या होता है Cloud Burst, क्यों होता है, और इसके पीछे का पूरा विज्ञान क्या है।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो बादल गिरना कोई वास्तविक घटना नहीं है। दरअसल, जब पहाड़ी क्षेत्रों में अचानक बहुत तेज बारिश होती है और बेहद कम समय में भारी मात्रा में पानी गिर जाता है, तो इसे ही Cloud Burst कहा जाता है। ऐसा लगता है जैसे पूरा बादल ही जमीन पर आ गिरा हो। इसी वजह से लोग इसे “बादल गिरना” भी कहते हैं।
Cloud Burst में बारिश इतनी तेज होती है कि कुछ ही मिनटों में पूरे इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। कई बार ओले भी गिरते हैं और तेज आवाज के साथ पानी गिरने से ऐसा लगता है मानो कोई बड़ा विस्फोट हुआ हो। इस दौरान पानी की तीव्रता इतनी अधिक होती है कि उसकी चपेट में आने वाली हर चीज बह जाती है।
Cloud Burst के पीछे वैज्ञानिक कारण बेहद रोचक और जटिल होते हैं। पहाड़ी इलाकों में बादलों में नमी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। गर्म हवा ऊपर उठती है और नमी को भी साथ लेकर जाती है। यह नमी धीरे-धीरे जमा होकर भारी बादल बना लेती है। जब इन बादलों का वजन बहुत बढ़ जाता है और हवा का दबाव इन्हें सहन नहीं कर पाता, तो अचानक ही तेज बारिश के रूप में यह नमी जमीन पर गिरती है।
इस प्रक्रिया में हवा का तापमान, दबाव और पहाड़ों की ऊँचाई अहम भूमिका निभाते हैं। ऊँचाई की वजह से हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और हवा का घनत्व बदल जाता है। इस वजह से बादल अपनी स्थिति में स्थिर नहीं रह पाते और भारी बारिश के रूप में फट पड़ते हैं। यही घटना Cloud Burst कहलाती है।
Cloud Burst या बादल फटने की घटना आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होती है, जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्य। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि ये घटनाएं अचानक होती हैं और इनकी भविष्यवाणी करना बेहद मुश्किल होता है।
इस दौरान तेज बारिश और ओलों से नदियां उफान पर आ जाती हैं, जिससे बाढ़ आ जाती है। कई बार पहाड़ों में भूस्खलन (लैंडस्लाइड) भी होता है, जिससे सड़कों का संपर्क टूट जाता है और गांवों का संपर्क शहरों से कट जाता है। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो जाती हैं और कई घर भी पानी में बह जाते हैं।
कई बार इस तरह की घटनाओं में लोगों की जान भी चली जाती है। हाल के वर्षों में Cloud Burst के कारण कई गांव तबाह हो गए हैं और सैकड़ों लोगों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, Cloud Burst एक प्राकृतिक आपदा है जिसे रोकना संभव नहीं है। हालांकि, मॉडर्न टेक्नोलॉजी और सैटेलाइट इमेजिंग की मदद से इसकी भविष्यवाणी करने की कोशिश की जाती है। मौसम विभाग अक्सर भारी बारिश और Cloud Burst की चेतावनी जारी करता है ताकि लोग सतर्क रह सकें।
कई बार जब मौसम विभाग चेतावनी देता है, तब प्रशासन द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया जाता है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है। हालांकि, पहाड़ी इलाकों में भूगोल और मौसम की अनिश्चितता के कारण समय पर राहत कार्य करना काफी मुश्किल होता है।
दुर्भाग्यवश, Cloud Burst जैसी प्राकृतिक घटनाओं को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता। ये पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा होती हैं। हालांकि, कुछ उपाय जरूर किए जा सकते हैं, जैसे-
अगर इन उपायों को सही तरीके से अपनाया जाए, तो Cloud Burst से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से Cloud Burst की घटनाएं बढ़ रही हैं। बढ़ते तापमान से वातावरण में ज्यादा नमी आ जाती है, जिससे भारी बारिश और Cloud Burst जैसी घटनाएं ज्यादा होती हैं।
पहाड़ी इलाकों में तापमान में बदलाव, जंगलों की कटाई और बेतरतीब निर्माण कार्य भी इसके लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया गया तो भविष्य में Cloud Burst और भी ज्यादा तबाही मचा सकते हैं।
Cloud Burst एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है जिससे बचाव करना आसान नहीं है। परंतु, यदि समय पर अलर्ट मिल जाए और लोग जागरूक रहें तो जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को हमेशा मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए और आपात स्थिति के लिए पहले से योजना बनाकर रखनी चाहिए।
आखिरकार, हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर ही जीना पड़ेगा। लेकिन यदि हम अपनी तैयारियों और पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान दें, तो इस तरह की घटनाओं के असर को बहुत हद तक घटाया जा सकता है।
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Cloud Burst, जिसे हिंदी में बादल फटना कहा जाता है, एक ऐसी घटना है जब बहुत ही कम समय में एक ही जगह पर अत्यधिक मात्रा में बारिश होती है। ऐसा लगता है जैसे पूरा बादल एक साथ गिर गया हो। यह आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में होता है।
सामान्य बारिश धीरे-धीरे होती है और लंबे समय तक चलती है। वहीं Cloud Burst में बहुत ज्यादा बारिश अचानक और बेहद तेज गति से गिरती है, जिससे बाढ़, लैंडस्लाइड और भारी तबाही होती है।
जब बादलों में अत्यधिक मात्रा में नमी इकट्ठी हो जाती है और हवा का दबाव उसे सहन नहीं कर पाता, तब यह नमी एक ही जगह पर बहुत तेज बारिश के रूप में गिरती है। इसे ही Cloud Burst कहा जाता है।
नहीं, Cloud Burst को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह एक प्राकृतिक घटना है। हालांकि, समय पर चेतावनी और सतर्कता से इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
भारत में Cloud Burst की घटनाएं ज्यादातर पहाड़ी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में होती हैं।