अब 18 दिन पहले ही पता चल जाएगा मॉनसून का मूड, IIT दिल्ली ने बनाया नया AI मॉडल
- June 27, 2025
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भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में मौसम की सटीक जानकारी समय पर मिलना बहुत जरूरी है। चाहे वह मॉनसून की शुरुआत हो, तेज बारिश
भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में मौसम की सटीक जानकारी समय पर मिलना बहुत जरूरी है। चाहे वह मॉनसून की शुरुआत हो, तेज बारिश
भारत जैसे विशाल और विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में मौसम की सटीक जानकारी समय पर मिलना बहुत जरूरी है। चाहे वह मॉनसून की शुरुआत हो, तेज बारिश की चेतावनी, या फिर चक्रवात और बादल फटने जैसे गंभीर आपदा संबंधी घटनाएं – अगर इनकी जानकारी पहले से मिल जाए तो जान-माल के नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है।
हाल ही में ऐसी ही कुछ घटनाएं देशभर में सामने आईं। जहां एक ओर केरल में मॉनसून अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंच गया, वहीं दिल्ली में येलो अलर्ट जारी होने के बावजूद भी बारिश नहीं हुई। दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और धर्मशाला जैसे पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की वजह से भारी तबाही मची। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और नौ लोग लापता हो गए। इसके अलावा, 2000 से ज्यादा पर्यटक वहां फंसे रह गए। अगर इन इलाकों में मौसम का सटीक पूर्वानुमान पहले से मिल गया होता, तो शायद इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।
अब इस समस्या का हल निकलता हुआ नजर आ रहा है। देश की राजधानी में स्थित प्रतिष्ठित संस्थान IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI आधारित मौसम पूर्वानुमान मॉडल विकसित किया है, जो मौसम की जानकारी 18 दिन पहले तक देने में सक्षम है। यह तकनीक मौजूदा मौसम पूर्वानुमान मॉडलों की तुलना में न केवल तेज है, बल्कि अधिक सटीक भी है।
IIT दिल्ली की रिसर्च टीम ने बताया कि इस नए सिस्टम में ट्रांसफॉर्मर न्यूरल नेटवर्क तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह वही तकनीक है जो आज के एडवांस्ड AI टूल्स, जैसे कि ChatGPT, में भी उपयोग की जाती है। इस तकनीक की खासियत यह है कि यह बड़ी मात्रा में डेटा को समझने, सीखने और भविष्य के लिए सटीक अनुमान लगाने में बहुत कुशल है।
इस रिसर्च में प्रमुख रूप से तीन वैज्ञानिकों का योगदान है – प्रोफेसर डॉ. संदीप सुकुमारन, प्रोफेसर हरिप्रसाद कोडमाना, और दो पीएचडी स्कॉलर – केएम अनिरुद्ध और पंकज। इन सभी ने मिलकर यह मॉडल तैयार किया है जो मौसम के मिजाज को काफी पहले समझ सकता है।
प्रोफेसर संदीप सुकुमारन के अनुसार, पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान मॉडल्स में बड़ी मात्रा में संसाधनों की जरूरत होती है। उन्हें चलाने के लिए सुपरकंप्यूटर और भारी मशीनें चाहिए होती हैं, साथ ही काफी समय भी लगता है। दूसरी ओर, यह नया AI आधारित मॉडल सामान्य GPU यानी एक साधारण गेमिंग लैपटॉप पर भी चल सकता है। यह न केवल तेज है, बल्कि संसाधनों की भी बचत करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जब इस मॉडल की तुलना अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के आधुनिक मॉडल्स से की गई, तो IIT दिल्ली का AI मॉडल कहीं ज्यादा बेहतर और सटीक निकला। इसकी गलती की दर यानी एरर ग्रोथ पारंपरिक मॉडलों की तुलना में काफी कम थी।
पीएचडी स्कॉलर अनिरुद्ध ने बताया कि इस मॉडल को विकसित करने से पहले उन्होंने पिछले पांच वर्षों के मौसम डेटा का गहराई से अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने पारंपरिक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों और AI आधारित ट्रांसफॉर्मर मॉडल के प्रदर्शन की तुलना की। इस तुलना में स्पष्ट हुआ कि AI मॉडल न केवल तेजी से काम करता है, बल्कि मौसम के बदलावों को अधिक सटीकता से पकड़ने में सक्षम है।
उनके अनुसार, पारंपरिक मॉडल को कोई अनुमान देने में काफी समय लगता है, जबकि AI मॉडल कुछ ही सेकंड्स में परिणाम दे सकता है। इससे समय, संसाधन और लागत – तीनों की बचत होती है।
दूसरे पीएचडी स्कॉलर पंकज ने बताया कि उन्होंने पिछले चार साल में आए 40 चक्रवातों (Cyclones) पर इस मॉडल की टेस्टिंग की। उन्होंने पाया कि पारंपरिक मॉडल चक्रवात की दिशा और स्थिति का अनुमान औसतन 500 किलोमीटर के दायरे में देते हैं, जो बहुत व्यापक होता है और इससे सटीक तैयारी करना मुश्किल होता है।
वहीं, नया AI मॉडल इस दायरे को बहुत हद तक घटाने में सफल रहा है। इसकी मदद से अब चक्रवात की सटीक ट्रैकिंग और अनुमान लगाया जा सकता है। पारंपरिक या सामान्य मशीन लर्निंग मॉडल जहां केवल 3-4 दिन पहले का ही अनुमान देने में सक्षम हैं, वहीं AI मॉडल कई दिनों पहले ही स्थिति स्पष्ट कर देता है।
इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से फंडिंग प्राप्त हुई है। IIT दिल्ली की यह टीम अब भारतीय मौसम विभाग (IMD) के साथ मिलकर इस मॉडल को और बेहतर बनाने और लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
यह मॉडल भविष्य में भारत जैसे देश के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, जहां हर साल करोड़ों लोग बाढ़, तूफान, सूखा, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होते हैं।
IIT दिल्ली द्वारा विकसित किया गया यह AI आधारित मौसम पूर्वानुमान मॉडल देश में मौसम विज्ञान की दिशा में एक बड़ी क्रांति है। इससे न केवल लोगों को सटीक और समय पर जानकारी मिलेगी, बल्कि सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के लिए भी तैयारी करना आसान होगा।
यदि इस तरह के मॉडल देशभर में लागू किए जाते हैं, तो भारत भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में सफल हो सकता है। यह न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि करोड़ों लोगों की सुरक्षा की दिशा में भी एक बड़ी छलांग है।
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उत्तर: IIT दिल्ली ने एक AI आधारित ट्रांसफॉर्मर मॉडल तैयार किया है जो मौसम, खासकर मॉनसून की भविष्यवाणी 18 दिन पहले तक कर सकता है। यह मॉडल मौजूदा पारंपरिक मॉडल्स से अधिक तेज़ और सटीक है।
उत्तर: पारंपरिक मॉडल को चलाने के लिए सुपरकंप्यूटर और भारी संसाधनों की जरूरत होती है, जबकि यह AI मॉडल सामान्य GPU पर भी काम कर सकता है। साथ ही, इसकी गलती की दर (Error Rate) कम है और यह भविष्यवाणी करने में ज्यादा सटीक है।
उत्तर: इस मॉडल में ट्रांसफॉर्मर न्यूरल नेटवर्क तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह वही तकनीक है जो ChatGPT जैसे एडवांस्ड सिस्टम्स में उपयोग होती है।
उत्तर: फिलहाल इस मॉडल को भारत के लिए विकसित किया गया है और इसकी तुलना अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के मॉडल्स से की गई है, जिसमें यह बेहतर साबित हुआ। भविष्य में इसे वैश्विक स्तर पर भी अपनाया जा सकता है।
उत्तर: यह मॉडल 18 दिन पहले तक मौसम का सटीक अनुमान दे सकता है, जो पारंपरिक मॉडल्स की तुलना में कहीं अधिक उन्नत है।