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SCO समिट में भारत का आतंकवाद पर सख्त रुख, लेकिन ‘एक देश’ की आपत्ति ने रोका साझा बयान

  • June 26, 2025
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भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के हालिया रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने

SCO समिट में भारत का आतंकवाद पर सख्त रुख, लेकिन ‘एक देश’ की आपत्ति ने रोका साझा बयान

भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के हालिया रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने आतंकवाद के सभी रूपों की आलोचना करते हुए इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की। हालांकि, इस प्रयास को उस समय झटका लगा जब एक सदस्य देश ने साझा बयान में आतंकवाद को लेकर शामिल की गई बातों पर आपत्ति जताई, जिसके कारण यह घोषणा जारी नहीं हो सकी।

भारत की आतंकवाद विरोधी नीति: स्पष्ट और निर्णायक

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने इस समिट में आतंकवाद के कई पहलुओं—सीमा पार आतंकवाद, टेरर फंडिंग, आतंकी साजिशकर्ताओं और आतंक के प्रायोजकों—पर ठोस कार्रवाई की मांग की थी। भारत का मानना है कि आतंकवाद न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी सबसे बड़ा खतरा है।

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रक्षा मंत्री ने बैठक में कहा कि आतंक के प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यह वक्तव्य उस नीति के अनुरूप है जिसे भारत लंबे समय से वैश्विक मंचों पर उठाता आ रहा है—”आतंकवाद को राजनीतिक या धार्मिक कारणों से उचित नहीं ठहराया जा सकता।”

‘एक देश’ की आपत्ति और SCO की एकजुटता पर सवाल

हालांकि MEA प्रवक्ता ने उस देश का नाम नहीं लिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह देश पाकिस्तान हो सकता है, जो SCO का सदस्य है और अतीत में भी आतंकवाद के मुद्दे पर विरोध करता रहा है। भारत के कड़े बयानों के बावजूद इस देश ने साझा बयान में आतंकवाद के मुद्दे को प्राथमिकता दिए जाने पर आपत्ति जताई।

इस स्थिति ने SCO जैसे बहुपक्षीय मंच की एकजुटता और उसकी कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर एक देश की आपत्ति पूरे संगठन की एकमत राय को बाधित कर सकती है, तो क्या यह मंच अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा कर पाएगा?

भारत का दो-टूक संदेश: आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों

भारत ने अपने संदेश में स्पष्ट किया कि आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं, बल्कि यह वैश्विक मानवता के लिए संकट है। सभी 11 सदस्य देशों को इसके विरुद्ध एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत की ओर से यह भी कहा गया कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को अलग-थलग किया जाना चाहिए।

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साझा बयान क्यों जरूरी था?

SCO जैसे मंचों से जारी साझा बयान न केवल सदस्य देशों की आम सहमति को दर्शाते हैं, बल्कि वे दुनिया को यह संकेत भी देते हैं कि यह संगठन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एक मजबूत दृष्टिकोण रखता है। आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर साझा बयान का न आना, एक प्रकार की कमजोरी को उजागर करता है।

भारत की भविष्य की रणनीति

भारत आगे भी SCO और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद करता रहेगा। भारत यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है कि वैश्विक समुदाय आतंकवाद को किसी भी रूप में समर्थन न दे और जो देश ऐसा करते हैं, उन्हें वैश्विक स्तर पर जवाबदेह ठहराया जाए।

निष्कर्ष:

SCO समिट में आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की दृढ़ नीति को एक सदस्य देश की आपत्ति ने रोका, लेकिन भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है—आतंकवाद किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। यह घटना न केवल SCO के लिए एक चेतावनी है, बल्कि वैश्विक समुदाय को यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि क्या बहुपक्षीय मंचों की एकता व्यक्तिगत हितों के आगे कमज़ोर पड़ रही है।

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