शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान: भारत का अंतरिक्ष में नया अध्याय
- June 21, 2025
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भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, Axiom Space के चौथे व्यावसायिक मिशन के तहत 10
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, Axiom Space के चौथे व्यावसायिक मिशन के तहत 10
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, Axiom Space के चौथे व्यावसायिक मिशन के तहत 10 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरने जा रहे हैं। यह मिशन केवल भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप के लिए भी ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि इसमें पोलैंड और हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे।
Axiom Space द्वारा संचालित यह मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के Falcon-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन की अगुवाई अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन करेंगी। उनके साथ भारतीय शुभांशु शुक्ला, पोलैंड के स्लावोस उज़नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू शामिल होंगे। 14 दिनों का यह मिशन 31 देशों के 60 वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा, जो वैश्विक सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है।
शुभांशु शुक्ला के इस मिशन की सबसे खास बात है उनकी वैज्ञानिक रिसर्च, जो ISRO और जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के सहयोग से की जाएगी। शुक्ला microgravity में मेथी और मूंग के बीजों के अंकुरण पर प्रयोग करेंगे। इन बीजों को धरती पर लाकर उनकी अगली पीढ़ियों तक के विकास का अध्ययन किया जाएगा।
इस रिसर्च का उद्देश्य है भविष्य की दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्राओं के लिए ऐसा खाना और पोषण विकसित करना, जो स्पेस में भी लंबे समय तक टिक सके और स्वास्थ्य बनाए रखे।
शुक्ला का यह भी प्रयास रहेगा कि ISS पर भारतीय व्यंजन परोसे जाएं। यह कदम न सिर्फ भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर दर्शाएगा, बल्कि यह अंतरिक्ष में भी भारतीय खान-पान की उपयोगिता को उजागर करेगा।
शुक्ला ने स्पष्ट रूप से कहा है, “यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतवासियों की यात्रा है।” वे अंतरिक्ष से अपने अनुभवों को वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से साझा करेंगे, ताकि हर भारतीय इस मिशन का हिस्सा महसूस कर सके। वे भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतीकात्मक चीजें भी साथ ले जा रहे हैं, जिनका महत्व भावनात्मक और सांस्कृतिक दोनों है।
भारत सरकार इस मिशन पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यह न केवल भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं का संकेत है, बल्कि 2027 में प्रस्तावित गगनयान मिशन के लिए अनुभव एकत्र करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं है, यह भारत की वैज्ञानिक सोच, तकनीकी क्षमता और वैश्विक सहयोग का प्रतीक बन रही है। यह मिशन युवाओं को प्रेरणा देगा, वैज्ञानिकों को नई दिशाएं दिखाएगा और भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की नींव मजबूत करेगा।
मिशन 10 जून को अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
वे ISRO और DBT के सहयोग से पोषण और खेती से जुड़ी रिसर्च करेंगे, जैसे मेथी और मूंग के बीजों को microgravity में उगाना।
पोलैंड के स्लावोस उज़नान्स्की, हंगरी के टिबोर कापू और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन इस मिशन का हिस्सा हैं।
हां, इस मिशन से भारत को 2027 में प्रस्तावित गगनयान मिशन के लिए अनुभव मिलेगा।
हां, वे अपने अनुभव वीडियो और तस्वीरों के ज़रिए देशवासियों से साझा करेंगे और अंतरिक्ष में भारतीय चीजें भी लेकर जाएंगे।