क्या है न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम? बच्चों पर कैसे पड़ता है असर और कैसे मिले बेहतर देखभाल
June 20, 2025
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न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम (Neurodivergent Spectrum) कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक संज्ञा है जिसका उपयोग उन बच्चों या व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिनका मस्तिष्क सामान्य
न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम (Neurodivergent Spectrum) कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक संज्ञा है जिसका उपयोग उन बच्चों या व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिनका मस्तिष्क सामान्य मानकों से अलग तरीके से काम करता है। हाल ही में आमिर खान की फिल्म सितारे ज़मीन पर ने इस विषय को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है, जिसमें कई स्पेशल चाइल्ड कलाकारों ने भाग लिया है। यह फिल्म समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि ये बच्चे अलग ज़रूर हैं, लेकिन किसी भी तरह से कम नहीं हैं।
न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम क्या होता है?
Cleveland Clinic के अनुसार, न्यूरोडाइवर्जेंट शब्द उन मानसिक स्थितियों का समूह है जिनमें मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सामान्य लोगों की तुलना में कुछ भिन्न होती है। इसमें कई सिंड्रोम शामिल होते हैं जैसे:
इन सभी स्थितियों में बच्चों की सोचने, समझने, ध्यान केंद्रित करने, भावनाओं को प्रकट करने और व्यवहार करने की प्रक्रिया कुछ अलग होती है। ये बीमारियाँ स्थायी होती हैं लेकिन इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।
न्यूरोडाइवर्जेंट क्यों होते हैं बच्चे?
दिल्ली एम्स के पूर्व पीडियाट्रिक विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार बागड़ी के अनुसार, न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम का प्रमुख कारण जेनेटिक यानी आनुवंशिक होता है। यह कोई संक्रामक या पर्यावरणीय रोग नहीं है जिसे रोका जा सके। मस्तिष्क का विकास गर्भ से ही शुरू हो जाता है, और कुछ बच्चों का दिमाग सामान्य विकास क्रम से अलग ढंग से विकसित होता है।
क्या न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चे पढ़ाई में पीछे होते हैं?
नहीं। न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चे पढ़ाई में पीछे रहेंगे, यह धारणा पूरी तरह गलत है। इन बच्चों में अक्सर असाधारण क्रिएटिविटी, कलात्मक दृष्टिकोण, संगीत या चित्रकला में विशेष रुचि देखी जाती है। हां, उन्हें सीखने और समझने के लिए एक अलग अप्रोच की जरूरत होती है। यदि उन्हें अनुकूल वातावरण, सही गाइडेंस और समझने वाले शिक्षक या अभिभावक मिल जाएं, तो ये बच्चे भी शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।
इलाज और देखभाल: कैसे हो बेहतर जीवन?
न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों का कोई स्थाई इलाज नहीं होता, लेकिन व्यवहार थेरेपी, स्पीच थेरेपी, सेंसेरी इंटीग्रेशन थेरेपी, और ज़रूरत पड़ने पर दवाइयों की मदद से इन्हें कंट्रोल किया जा सकता है। जरूरी है कि:
उन्हें मुख्यधारा में शामिल किया जाए।
उनका मज़ाक न उड़ाया जाए या उन्हें “अलग” न माना जाए।
स्कूलों और समाज में उनके लिए सहानुभूति और सहयोग का वातावरण तैयार किया जाए।
फिल्मों और समाज में जागरूकता
आमिर खान की फिल्म सितारे ज़मीन पर हो या नई फिल्में, जिनमें न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों को सम्मान के साथ दिखाया जा रहा है, यह समाज को एक नया नजरिया दे रही है। जब सिनेमा, मीडिया और शिक्षा संस्थान मिलकर इन बच्चों को स्वीकार करते हैं, तो समाज में बदलाव आना तय है।
निष्कर्ष
न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम कोई “कमज़ोरी” नहीं है, बल्कि यह एक भिन्न neurological development है जिसे समझने, स्वीकारने और सहयोग की आवश्यकता है। हर बच्चा विशेष है — बस उसे समझने वाली आंखें और सहारा देने वाले हाथ चाहिए। सही गाइडेंस, शिक्षा और थेरेपी से ये बच्चे भी पूरी तरह आत्मनिर्भर और सफल जीवन जी सकते हैं।
Frequently Asked Questions
Q1. न्यूरोडाइवर्जेंट स्पेक्ट्रम क्या होता है?
यह एक neurological स्थिति है जिसमें व्यक्ति का मस्तिष्क सामान्य से अलग तरीके से काम करता है, जैसे कि ऑटिज्म, एडीएचडी, डिस्लेक्सिया आदि।
Q2. क्या न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चों का इलाज संभव है?
इसका स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन थेरेपी, शिक्षा और दवाइयों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Q3. क्या न्यूरोडाइवर्जेंट बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं?
नहीं, ये बच्चे अलग तरीके से सीखते हैं और इनमें कला, संगीत या विश्लेषण जैसी क्षेत्रों में विशेष रुचि हो सकती है।
Q4. न्यूरोडाइवर्जेंट होने के कारण क्या हैं?
मुख्यतः आनुवंशिक कारणों से ऐसा होता है, यानी यह मस्तिष्क के विकास की जैविक प्रक्रिया से जुड़ा होता है।
Q5. समाज इन बच्चों के लिए क्या कर सकता है?
समाज को उन्हें अपनाना चाहिए, उन्हें मुख्यधारा में लाना चाहिए, और स्कूलों, अभिभावकों व सरकार को मिलकर सहयोग देना चाहिए।