फूड पॉइजनिंग नहीं थी यह बीमारी: दुर्लभ बीमारी से जूझ रही महिला ने गंवाए 13 अंग, अब चला रही जागरूकता अभियान
May 27, 2025
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यूके के कंब्रिया की रहने वाली 39 वर्षीय रेबेका हिंद की जिंदगी अचानक तब बदल गई जब उन्होंने मामूली फूड पॉइजनिंग समझे जाने वाले लक्षणों को नजरअंदाज कर
यूके के कंब्रिया की रहने वाली 39 वर्षीय रेबेका हिंद की जिंदगी अचानक तब बदल गई जब उन्होंने मामूली फूड पॉइजनिंग समझे जाने वाले लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया। असल में, ये लक्षण एक बेहद दुर्लभ और खतरनाक मेडिकल कंडीशन Pseudomyxoma Peritonei (PMP) के संकेत थे — एक ऐसी बीमारी जो दस लाख में से केवल एक व्यक्ति को प्रभावित करती है।
रेबेका की यह दर्दनाक कहानी सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि हम सभी के लिए एक चेतावनी है कि कभी-कभी आम से लगने वाले लक्षण गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकते हैं।
शुरुआती लक्षण: मामूली दर्द से शुरू हुआ था सिलसिला
रेबेका को पेट दर्द, मतली और अपच जैसे लक्षण महसूस हुए, जिसे उन्होंने फूड पॉइजनिंग समझकर नजरअंदाज कर दिया। लेकिन कुछ ही हफ्तों में उनकी स्थिति और बिगड़ने लगी। वजन तेजी से घटने लगा, कमजोरी बढ़ने लगी और पेट में सूजन बनी रहने लगी। आखिरकार जब उन्होंने डॉक्टर से संपर्क किया, तब पता चला कि मामला बेहद गंभीर है।
डायग्नोसिस: एक दुर्लभ बीमारी का खुलासा
चिकित्सकों ने जब स्कैन और बायोप्सी की तो यह खुलासा हुआ कि रेबेका को Pseudomyxoma Peritonei है — एक ऐसी दुर्लभ बीमारी जो एपेंडिक्स या अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अंगों से निकलने वाले म्यूकस की वजह से पेट की परतों में फैलती है। यह म्यूकस धीरे-धीरे पेट की गुहा को भर देता है, जिससे अंगों पर दबाव पड़ता है और उनके कार्य बंद होने लगते हैं।
13 अंग निकालने पड़े, फिर भी बच गई जान
रेबेका की हालत इतनी गंभीर थी कि उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों को उनके शरीर से 13 अंग निकालने पड़े। इनमें गॉल ब्लैडर, स्प्लीन, गर्भाशय, डिम्बग्रंथि, एपेंडिक्स, आंतों के हिस्से और अन्य प्रभावित अंग शामिल थे। यह एक बेहद जटिल सर्जरी थी जिसे cytoreductive surgery with HIPEC (Hyperthermic Intraperitoneal Chemotherapy) कहा जाता है।
इस सर्जरी के बाद उनकी जिंदगी पहले जैसी नहीं रही। अब उन्हें प्रतिदिन 50 से 60 गोलियां खानी पड़ती हैं, जिनमें दर्द निवारक, हार्मोन थेरेपी और जीवन रक्षक दवाइयां शामिल हैं।
मानसिक और शारीरिक संघर्ष
सिर्फ शारीरिक ही नहीं, रेबेका को मानसिक रूप से भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक सामान्य जीवन से अचानक एक जटिल मेडिकल स्थिति की ओर बढ़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। लेकिन रेबेका ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी स्थिति को स्वीकार किया और आगे बढ़ने का फैसला किया।
अब चला रही हैं जागरूकता अभियान
अपनी बीमारी को लेकर रेबेका अब जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। वह सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को बता रही हैं कि पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को हल्के में न लें। साथ ही उन्होंने कई मेडिकल कैंप और वर्कशॉप्स में भाग लिया है, जहां वह PMP के लक्षण, निदान और इलाज के बारे में जानकारी देती हैं।
उनका उद्देश्य है कि कोई और उनकी तरह इस गंभीर स्थिति को समय रहते पहचानने से न चूके।
PMP: क्या है यह बीमारी और क्यों है खतरनाक
Pseudomyxoma Peritonei (PMP) एक धीमी गति से बढ़ने वाला ट्यूमर होता है जो एपेंडिक्स, ओवरी या कोलन जैसे अंगों से शुरू होकर पेट की गुहा में फैलता है। यह म्यूकस युक्त कोशिकाएं छोड़ता है जो पेट में फैलकर अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाती हैं। समय रहते इलाज न मिलने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
लक्षण:
पेट में सूजन या असामान्य आकार
बार-बार अपच या मतली
पेट दर्द या भारीपन
अनजाने में वजन घटाना
इलाज:
सर्जरी द्वारा ट्यूमर हटाना
HIPEC थेरेपी
लगातार मेडिकल मॉनिटरिंग
हम क्या सीख सकते हैं?
रेबेका की कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी “सामान्य” लगने वाले लक्षण भी बड़ी बीमारियों का संकेत हो सकते हैं। पेट में असामान्य सूजन, दर्द या अपच को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर मेडिकल जांच कराना जरूरी है।
साथ ही, मानसिक और शारीरिक चुनौतियों के बावजूद रेबेका का साहस और दूसरों को जागरूक करने का प्रयास हमें प्रेरणा देता है कि मुश्किल हालात में भी उम्मीद की किरण हमेशा होती है।
निष्कर्ष:
रेबेका की कहानी केवल एक महिला की जिजीविषा की मिसाल नहीं है, बल्कि यह सभी के लिए एक चेतावनी है कि हेल्थ को कभी भी हल्के में न लें। छोटी-छोटी स्वास्थ्य समस्याएं भी गंभीर रूप ले सकती हैं। समय पर जांच, जागरूकता और उचित इलाज ही जीवन को बचा सकता है।