‘गधा इकोनॉमी’: पाकिस्तान से चीन तक फैले इस अनोखे व्यापार की पूरी कहानी
- May 16, 2025
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जब आप “इकोनॉमी” शब्द सुनते हैं, तो आपके दिमाग में टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर या कृषि जैसी चीजें आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश की
जब आप “इकोनॉमी” शब्द सुनते हैं, तो आपके दिमाग में टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर या कृषि जैसी चीजें आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश की
जब आप “इकोनॉमी” शब्द सुनते हैं, तो आपके दिमाग में टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर या कृषि जैसी चीजें आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश की अर्थव्यवस्था में गधों का भी अहम योगदान हो सकता है? पाकिस्तान में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है, जिसे “गधा इकोनॉमी” कहा जा रहा है। यह व्यापार अब केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तान से लेकर चीन तक फैल चुका है।
चीन में गधों की आबादी में पिछले कुछ दशकों में तेज गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण है “एजियाओ” नामक एक पारंपरिक चीनी औषधि, जो गधे की खाल से बनाई जाती है। यह औषधि चीन में ऊर्जा, त्वचा की सुंदरता और रक्त संचार को बेहतर बनाने के लिए उपयोग होती है।
चूंकि चीन में अब गधों की संख्या बहुत कम हो गई है, और अफ्रीका व ब्राजील जैसे देशों ने गधों के वध और उनके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, ऐसे में चीन को नया स्रोत चाहिए — और यही मौका पाकिस्तान के लिए आर्थिक अवसर बन गया।
पाकिस्तान में अब गधों के लिए विशेष फार्म तैयार किए जा रहे हैं, जहां इनका वैज्ञानिक तरीके से पालन किया जा रहा है। कुछ प्रांतों में सरकार ने गधे पालन के लिए सब्सिडी और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स भी शुरू किए हैं।
एक सामान्य गधे की कीमत पाकिस्तान में ₹15,000 से ₹30,000 तक होती है। लेकिन यदि गधे की नस्ल अच्छी हो और वजन अधिक हो, तो इसकी कीमत ₹50,000 से ₹70,000 तक जा सकती है।
गधों की खाल का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ज्यादा होता है। चीन में एक अच्छी गुणवत्ता की गधे की खाल से तैयार एजियाओ की कीमत $300 से $500 प्रति किलो तक हो सकती है। इससे पाकिस्तान को बड़ा एक्सपोर्ट रेवेन्यू मिलने की संभावना है।
इस गधा व्यापार को लेकर कई सामाजिक कार्यकर्ता और पशु प्रेमी चिंतित हैं। उनका कहना है कि गधों को केवल उनकी खाल के लिए पाला और मारा जाना अमानवीय है। अफ्रीका और ब्राजील में इसी वजह से प्रतिबंध लगाए गए।
पाकिस्तान में भी अगर यह व्यापार अनियंत्रित रहा तो गधों की जनसंख्या पर असर, पशु क्रूरता और जैव विविधता की हानि जैसी समस्याएं उभर सकती हैं।
पाकिस्तान इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी कर्ज जैसे मुद्दों ने उसे कमजोर बना दिया है। ऐसे में गधा इकोनॉमी को एक वैकल्पिक निर्यात क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है। इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकते हैं।
अगर पाकिस्तान इस व्यापार को संगठित, वैज्ञानिक और नैतिक ढंग से संचालित करे, तो यह वास्तव में उसकी अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है।
गधा इकोनॉमी एक अनोखा लेकिन गंभीर विषय है, जो यह दिखाता है कि कैसे एक साधारण प्राणी भी वैश्विक व्यापार का हिस्सा बन सकता है। पाकिस्तान के लिए यह एक नया निर्यात अवसर है, जबकि चीन के लिए एक पारंपरिक दवा की जरूरत। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गधा आधारित व्यापार कितना आगे जाता है और क्या यह सच में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मज़बूत बना सकता है।