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Why US Market Falls: ट्रंप के टैरिफ ऐलान से टूटा अमेरिकी शेयर बाजार, Dow-Nasdaq में भारी गिरावट की वजह जानें

  • April 22, 2025
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अमेरिकी शेयर बाजार में इस हफ्ते जबरदस्त गिरावट देखी गई है। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones), नैस्डैक (Nasdaq) और एसएंडपी 500 (S&P 500) तीनों प्रमुख सूचकांकों में

Why US Market Falls: ट्रंप के टैरिफ ऐलान से टूटा अमेरिकी शेयर बाजार, Dow-Nasdaq में भारी गिरावट की वजह जानें

अमेरिकी शेयर बाजार में इस हफ्ते जबरदस्त गिरावट देखी गई है। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (Dow Jones), नैस्डैक (Nasdaq) और एसएंडपी 500 (S&P 500) तीनों प्रमुख सूचकांकों में 2% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण बना है डोनाल्ड ट्रंप का हालिया बयान जिसमें उन्होंने “रेसिप्रोकल टैरिफ” यानी प्रतिशोधी शुल्क (Reciprocal Tariffs) की घोषणा की।

इस कदम से न सिर्फ निवेशकों की चिंता बढ़ी है, बल्कि वैश्विक व्यापार और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति को लेकर भी अनिश्चितता गहराई है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर क्यों अमेरिकी मार्केट इस कदर लड़खड़ा गया।

Why US Market Falls

अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट की मौजूदा स्थिति

2 अप्रैल 2025 को डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में यह कहा कि यदि विदेशी देश अमेरिका पर टैरिफ लगाते हैं, तो अमेरिका भी अब उनके खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएगा। इस घोषणा के तुरंत बाद से बाजार में अस्थिरता शुरू हो गई।

  • S&P 500 में अब तक 8% की गिरावट
  • Nasdaq 10% से ज्यादा टूटा
  • Dow Jones करीब 9% लुढ़का

ट्रंप के बयान का प्रभाव: बाजार क्यों टूटा?

1. व्यापार युद्ध की आशंका

रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है कि अमेरिका अब उन देशों पर समान या अधिक शुल्क लगाएगा जो अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाते हैं। इससे वैश्विक व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है और एक नए व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है।

2. निवेशकों की अनिश्चितता

टैरिफ का असर सीधे तौर पर निर्यात-आधारित कंपनियों पर पड़ता है। बड़ी टेक कंपनियां जैसे Apple, Microsoft, Tesla जो चीन और अन्य देशों से आयात-निर्यात करती हैं, उनके शेयरों में गिरावट आई है।

3. मुद्रास्फीति और फेड का प्रेशर

टैरिफ से आयातित सामान महंगे होंगे, जिससे महंगाई (Inflation) बढ़ेगी। इससे फेडरल रिजर्व पर ब्याज दर बढ़ाने का दबाव बनेगा, जिससे बाजार में बिकवाली और तेज हो सकती है।

Why US Market Falls

फेडरल रिजर्व की भूमिका

हाल ही में फेड ने संकेत दिया था कि वह इस साल ब्याज दरों में कटौती की संभावना तलाश रहा है, लेकिन बढ़ती महंगाई और राजनीतिक दबाव के चलते फेड की राह अब मुश्किल हो गई है।

  • फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने कहा कि “नीतिगत निर्णयों में स्वतंत्रता बनाए रखना आवश्यक है”।
  • बाजार अब फेड की दरों में कटौती की संभावना को घटाकर देख रहा है, जिससे निवेशक घबराए हुए हैं।

वैश्विक असर: केवल अमेरिका नहीं, पूरी दुनिया में हलचल

ट्रंप के टैरिफ ऐलान का असर न केवल अमेरिका में बल्कि एशियाई और यूरोपीय बाजारों पर भी पड़ा है।

  • जापान का Nikkei 1.7% गिरा
  • हांगकांग का Hang Seng 2.3% टूटा
  • भारत का Sensex भी 600+ अंकों से नीचे आया

एक्सपर्ट क्या कह रहे हैं?

डेविड रोसेनबर्ग, इकोनॉमिक स्ट्रैटेजिस्ट:

“रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान निवेशकों के लिए एक अलार्म है। यह सीधा संकेत है कि ट्रंप फिर से ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की ओर लौट रहे हैं।”

मूरगन स्टैनली रिपोर्ट:

“यदि टैरिफ्स लागू हुए, तो अमेरिकी GDP ग्रोथ रेट में 0.5% की गिरावट संभव है। ये बाजारों के लिए खराब संकेत हैं।”

किन सेक्टर्स पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?

सेक्टरगिरावट (%)
टेक्नोलॉजी-3.2%
ऑटोमोबाइल-2.8%
रिटेल-2.5%
इंडस्ट्रियल-3.5%
  • Apple, Tesla, Amazon जैसे शेयरों में सबसे अधिक बिकवाली हुई।
  • अमेरिकी ऑटो सेक्टर, जो आयातित स्टील व पुर्जों पर निर्भर करता है, वह सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

  1. लॉन्ग टर्म निवेश में घबराएं नहीं
    यदि आपने दीर्घकालिक निवेश किया है, तो छोटी गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है।
  2. डायवर्सिफाई करें पोर्टफोलियो
    टैरिफ जैसे जियोपॉलिटिकल जोखिमों से बचने के लिए पोर्टफोलियो में विविधता ज़रूरी है।
  3. गोल्ड या बॉन्ड्स में आंशिक निवेश करें
    बाजार में अस्थिरता के समय गोल्ड और सरकारी बॉन्ड्स बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐलान ने वैश्विक वित्तीय बाजारों को हिला दिया है। अमेरिका का ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ कदम न केवल व्यापारिक साझेदारों के साथ तनाव बढ़ा रहा है, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार को भी खतरे में डाल रहा है।

अब बाजार की नजर फेड की अगली मीटिंग पर टिकी है, जहां यह देखा जाएगा कि फेड इस राजनीतिक दबाव में कैसे प्रतिक्रिया देता है। तब तक, निवेशकों के लिए सतर्कता और रणनीतिक सोच सबसे अहम होगी।

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