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Mustafabad Building Collapse: आधी रात में मलबा बनी बिल्डिंग, 13 में से सिर्फ 5 बचे – चश्मदीदों ने बताया दिल दहला देने वाला मंजर

  • April 21, 2025
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दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में एक भयावह हादसा घटा, जिसने ना सिर्फ एक परिवार को उजाड़ दिया बल्कि पूरे मोहल्ले को सदमे में डाल दिया। हाजी तहसीन का

Mustafabad Building Collapse: आधी रात में मलबा बनी बिल्डिंग, 13 में से सिर्फ 5 बचे – चश्मदीदों ने बताया दिल दहला देने वाला मंजर

दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में एक भयावह हादसा घटा, जिसने ना सिर्फ एक परिवार को उजाड़ दिया बल्कि पूरे मोहल्ले को सदमे में डाल दिया। हाजी तहसीन का मकान, जो एक सामान्य रिहायशी इमारत थी, आधी रात को अचानक भरभरा कर गिर पड़ा, और कुछ ही पलों में वह मलबे के ढेर में तब्दील हो गया।

इस भयंकर हादसे ने हाजी तहसीन और उनके परिवार के 13 में से 8 सदस्यों की जान ले ली। बच गए हैं तो सिर्फ 5, और वो भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। इस लेख में हम इस हादसे की पूरी जानकारी, चश्मदीदों की ज़ुबानी बयान और प्रशासन की प्रतिक्रिया को विस्तार से जानेंगे।

हादसा कब और कैसे हुआ?

यह हादसा 18 अप्रैल की आधी रात करीब 12:30 बजे हुआ। हाजी तहसीन का चार मंजिला मकान, जो कई सालों से खड़ा था, अचानक तेज आवाज के साथ गिर गया। सोते हुए लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही मलबे में दब गए।

स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में एक जोरदार धमाके जैसी आवाज आई और पूरा इलाका धूल और चीख-पुकार से भर गया। बिजली चली गई, हर कोई डर के मारे अपने घरों से बाहर भागा।

हाजी तहसीन का परिवार: उजड़ गई एक पूरी दुनिया

हाजी तहसीन, जिनका यह मकान था, खुद भी इस हादसे में मारे गए। उनके परिवार में कुल 13 लोग थे, जिनमें छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल थे। दुखद बात यह है कि इस मकान ढहने के बाद सिर्फ 5 लोग बच पाए हैं, बाकी की मौत हो चुकी है।

परिवार के पड़ोसी नफीस अहमद बताते हैं,

“हम सब तहसीन भाई के घर में रोज आना-जाना करते थे। उनके बच्चे हमारे बच्चों के साथ खेलते थे। ऐसा मंजर कभी नहीं देखा। अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि पूरा परिवार खत्म हो गया।”

Mustafabad Building Collapse

12 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

इस दर्दनाक हादसे की खबर मिलते ही NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल), फायर ब्रिगेड, और पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। रेस्क्यू ऑपरेशन तुरंत शुरू किया गया, जो लगातार 12 घंटे से ज्यादा चला

  • मलबे से कई शव निकाले गए।
  • बच्चों को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ अस्पताल पहुंचाया गया।
  • आसपास की इमारतों को खाली करवाया गया ताकि और कोई जोखिम न हो।

ड्रोन कैमरे और थर्मल सेंसर की मदद से फंसे लोगों को खोजा गया।

चश्मदीदों ने बताया भयावह मंजर

स्थानीय निवासी और चश्मदीद शाहिद खान कहते हैं:

“जैसे ही आवाज आई, हम सब समझ गए कि कुछ भयानक हुआ है। दौड़कर जब उस गली में पहुंचे तो पूरा मकान जमीन पर था। चारों ओर धूल और चीखें थीं। किसी के हाथ बाहर निकले हुए थे, किसी का सिर मलबे में दबा था।”

हादसे के संभावित कारण

अब सबसे बड़ा सवाल है – क्या कारण था इस हादसे का?
प्रशासन और विशेषज्ञों के अनुसार:

  1. पुरानी इमारत थी: मकान लगभग 25 साल पुराना बताया जा रहा है।
  2. बिना स्ट्रक्चरल जांच के निर्माण: शुरुआती जांच में पता चला है कि इमारत में हाल ही में मरम्मत का काम हुआ था, लेकिन वह उचित इंजीनियरिंग जांच के बिना किया गया था।
  3. जमीन में नमी और बारिश का असर: कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि नीचे की नींव कमजोर हो चुकी थी, जो अचानक ढहने का कारण बनी।

प्रशासन का जवाब

हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन और नगर निगम हरकत में आए:

  • दिल्ली सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।
  • मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
  • NDRF और SDMC की टीमें बाकी मलबा हटाने और आसपास की इमारतों की जांच में लगी हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर संवेदना जताई और कहा:

“मुस्तफाबाद हादसे में जिन लोगों ने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदना है। प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि हरसंभव मदद दी जाए।”

भविष्य के लिए सबक

यह हादसा हमें एक गंभीर चेतावनी देता है:

  • पुरानी इमारतों की समय-समय पर जांच जरूरी है।
  • अवैज्ञानिक निर्माण, बिना इंजीनियरिंग सलाह के, लोगों की जान खतरे में डालता है।
  • स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे इमारतों का रजिस्टर बनाएं और नियमित जांच करें।
  • निवासियों को भी चाहिए कि वे ऐसी इमारतों में रहने से पहले स्ट्रक्चरल सेफ्टी रिपोर्ट जरूर देखें।

निष्कर्ष

Mustafabad Building Collapse सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक परिवार की पूरी कहानी का अंत था। ये मलबा सिर्फ ईंटों और सीमेंट का नहीं था, बल्कि उसमें दबे थे किसी के सपने, रिश्ते और जिंदगी के तमाम रंग।

अब जरूरत है कि हम ऐसे हादसों से सबक लें और सुरक्षित रहने की आदत बनाएं। सरकार और नागरिक मिलकर ही इस तरह के हादसों को रोक सकते हैं।

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