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Emraan Hashmi’s ‘Serial Kisser’ Tag: एक छवि से जूझता कलाकार और उसकी असली पहचान

  • April 12, 2025
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बॉलीवुड में जब भी उन अभिनेताओं की बात होती है जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत से ही एक अलग पहचान बनाई, तो इमरान हाशमी का नाम ज़रूर सामने

Emraan Hashmi’s ‘Serial Kisser’ Tag: एक छवि से जूझता कलाकार और उसकी असली पहचान

बॉलीवुड में जब भी उन अभिनेताओं की बात होती है जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत से ही एक अलग पहचान बनाई, तो इमरान हाशमी का नाम ज़रूर सामने आता है। लेकिन इस पहचान के साथ-साथ उन्हें एक ऐसा टैग भी मिला जिसने उनके अभिनय कौशल को लंबे समय तक ढक दिया — ‘सीरियल किसर’। हाल ही में यूट्यूबर और पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया के शो में इमरान हाशमी ने इस टैग को लेकर अपनी असल भावनाएं खुलकर ज़ाहिर कीं।

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ‘सीरियल किसर’ की छवि ने इमरान के करियर को प्रभावित किया, उन्होंने इससे कैसे निपटा, और कैसे वे एक गंभीर कलाकार की पहचान बनाने में सफल हुए।

शुरुआत में ही लग गया ‘सीरियल किसर’ का ठप्पा

इमरान हाशमी ने अपने करियर की शुरुआत 2003 में फिल्म ‘फुटपाथ’ से की, लेकिन उन्हें असली सफलता मिली फिल्म ‘मर्डर’ (2004) से। इस फिल्म में उनके बोल्ड सीन और किसिंग सीक्वेंस ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। दर्शकों ने उनके किरदार को पसंद किया और फिल्म सुपरहिट रही। इसके बाद ‘जहर’, ‘गैंगस्टर’, ‘आशिक बनाया आपने’, और ‘मर्डर 2’ जैसी फिल्मों में भी इमरान का यही अंदाज दोहराया गया।

Emraan Hashmi

लगातार फिल्मों में बोल्ड सीन और किसिंग की भरमार के चलते मीडिया और दर्शकों ने उन्हें ‘सीरियल किसर’ का टैग दे दिया। ये टैग भले ही मज़ाक में दिया गया हो, लेकिन इसका असर इमरान की छवि पर गहराई से पड़ा।

इमरान की प्रतिक्रिया: “मैं चाहता था कि लोग मुझे सीरियस एक्टर मानें”

रणवीर इलाहाबादिया के पॉडकास्ट में इमरान ने कहा,

“एक वक्त था जब मैं इस टैग से थोड़ा परेशान हो जाता था। मैं चाहता था कि लोग मुझे सीरियस एक्टर के तौर पर देखें। ये सब मैंने खुद किया, लेकिन इससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया था।”

इस एक बयान में इमरान ने उस संघर्ष को दर्शाया जो वह पर्दे के पीछे झेलते रहे। उन्होंने माना कि जो रोल उन्होंने चुने, वो खुद की इच्छा से थे, लेकिन जब एक ही तरह की छवि बन जाए, तो दर्शकों का नज़रिया बदलना आसान नहीं होता।

क्यों चिपक गया ये टैग?

बॉलीवुड में छवि का बहुत बड़ा महत्व होता है। एक बार अगर किसी अभिनेता की छवि बन जाए, तो निर्माता-निर्देशक भी उन्हें उसी नजरिए से देखते हैं। इमरान की फिल्मों में रोमांस और बोल्डनेस इतना प्रमुख रहा कि उनकी एक्टिंग स्किल्स कहीं न कहीं दब गईं। मीडिया ने भी मज़ाक में सही, लेकिन ‘सीरियल किसर’ की छवि को खूब उभारा।

इसके अलावा, इमरान की फिल्में उस दौर में आ रही थीं जब सेंसर बोर्ड थोड़ा लिबरल हो चुका था और युवा वर्ग बोल्ड कंटेंट को खुले दिल से अपना रहा था। इस वजह से उनके बोल्ड सीन्स चर्चा में बने रहते और बाकी बातें पीछे छूट जातीं।

सीरियस रोल्स की ओर कदम

इमरान हाशमी ने इस छवि को तोड़ने के लिए समय के साथ अपनी फिल्मों के चयन में बदलाव करना शुरू किया। ‘अवारापन’ (2007) जैसी फिल्म में उन्होंने गंभीर और इमोशनल किरदार निभाया जो दर्शकों को काफी पसंद आया। इसके बाद ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘शंघाई’, और ‘घनचक्कर’ जैसी फिल्मों ने साबित कर दिया कि इमरान सिर्फ किसिंग सीन्स के लिए नहीं, बल्कि एक संजीदा अभिनेता के रूप में भी अपनी छाप छोड़ सकते हैं।

Emraan Hashmi

इन फिल्मों में उन्होंने दमदार परफॉर्मेंस दी और आलोचकों से तारीफें भी बटोरीं। हालांकि दर्शकों की सोच को पूरी तरह बदलना आसान नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे लोग उनकी रेंज को पहचानने लगे।

एक नया दौर: ओटीटी और अलग कहानियाँ

जब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का दौर आया, तो इमरान ने भी उसमें हाथ आजमाया। वे वेब सीरीज़ ‘बॉर्ड ऑफ ब्लड’ में नज़र आए, जिसमें उनका एक्शन अवतार देखने को मिला। इस सीरीज़ ने दिखाया कि इमरान किस हद तक खुद को किरदार में ढाल सकते हैं।

इमरान अब ऐसी स्क्रिप्ट्स चुनते हैं जो कंटेंट-ड्रिवन हों और उन्हें एक्टर के रूप में नई चुनौतियाँ दें। वे अब खुद को एक ‘नए इमरान’ के रूप में स्थापित कर चुके हैं।

दर्शकों की सोच में बदलाव

समय के साथ दर्शकों की मानसिकता में भी बदलाव आया है। अब लोग कंटेंट को प्राथमिकता देते हैं। इमरान की फिल्मों जैसे ‘हरामी’ या ‘टाइगर 3’ में उनके कैमियो ने ये साबित कर दिया कि वे सिर्फ रोमांस के लिए नहीं, बल्कि हर जॉनर में खुद को साबित कर सकते हैं।

साथ ही, सोशल मीडिया और पॉडकास्ट जैसे मंचों पर इमरान की ईमानदारी और सादगी भी दर्शकों को प्रभावित कर रही है। उनकी बातें उनके संघर्ष और जर्नी को बखूबी दिखाती हैं।

इमरान की स्वीकारोक्ति: “ये सब मैंने खुद किया…”

इमरान की ये बात काबिले तारीफ है कि उन्होंने अपनी छवि के लिए दूसरों को दोष नहीं दिया। उन्होंने खुले दिल से स्वीकार किया कि यह सब उन्होंने खुद किया था। इससे पता चलता है कि वे कितने ग्राउंडेड और आत्मविश्लेषी व्यक्ति हैं।

यही आत्मस्वीकृति उन्हें एक बेहतर कलाकार और इंसान बनाती है।

निष्कर्ष

इमरान हाशमी की कहानी सिर्फ एक टैग से लड़ने की नहीं, बल्कि अपनी असल पहचान को पाने की जद्दोजहद है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में जो रोल चुने, वो उस दौर के अनुसार सफल रहे, लेकिन वक्त के साथ उन्होंने खुद को फिर से खोजा और अपनी प्रतिभा को गंभीरता से स्थापित किया।

आज इमरान हाशमी सिर्फ ‘सीरियल किसर’ नहीं हैं, बल्कि एक ऐसा अभिनेता हैं जो अपने हर किरदार में जान डाल देते हैं — चाहे वो रोमांटिक हीरो हो, एक्शन मैन या फिर एक इमोशनल ड्रामा का हिस्सा।

उनकी यात्रा हम सबको यह सिखाती है कि टैग और छवियां अस्थायी होती हैं, लेकिन प्रतिभा और मेहनत आपको अंततः वह पहचान दिला ही देती है, जिसके आप हकदार हैं।

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